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Pass Book | Funny Story in Hindi


Pass Book | Funny Story in Hindi


"आरे उठ जा कुम्भकरण, मरन्नोहो। पढ़ाई लिखाई तो करते नहीं बस उल्लू की तरह दिनभर सोते रहते हो। एक नम्बर का आलसी"


Pass Book | Funny Story in Hindi


सोते हुए अजय के कानों में जैसे ही पिताजी की आवाज सुनाई पड़ी वह झट से उठ खड़ा हुआ। मानो कोई जवान युद्ध के लिए तैयार हो रहा हो। वह उठकर मुँह ढोने के लिए बाथरूम जा ही रहा था कि तभी पिताजी ने उसे देख लिया और बोलना शुरू किया, "महाराज उठ गए, थोड़ा और सो लेते। अभी 12 थोड़ी बजा।" अजय ने भौंरे की तरह गुनगुनाया, "ना उठो तो गाली, उठो तो गाली। आदमी है कि..."

पिताजी: क्या बोला?

अजय: कुछ नहीं...

पिताजी: कुछ तो बोला...

अजय: कुछ नहीं बोला...           

पिताजी: कुछ तो... कुछ तो बोले हो...

अजय: अरे कुछ भी नहीं बोला...

पिताजी: कुछ तो बोले हो?

अजय: अरे आप भोकते बहुत हो।

पिताजी: क्या...क्या बोला मै भोक्ता हूँ।

अजय सीधा बाथरूम भगा। पिताजी ने बड़े बड़े आखों से उसको देखा कि तभी अजय की माँ चाय ले कर आयी।

माँ: चाय लीजिये...

पिताजी: मैं भोक्ता हूं?

माँ: नहीं...आप गुस्सा मत कीजिये। अभी अभी तो सोकर उठा है इसलिए गलती से बोल दिया होगा।  लीजिये चाय ठंडी हो जाएगी चाट लीजिए मतलब... पी लीजिये।

यह बोलते ही माताजी kitchen की तरफ भागी। पिताजी ने बड़े बड़े आँखों से उसे देखा और बोला, "मतलब मैं भोक्ता हूँ।"

थोड़ी देर बाद अजय आया। अजय को देख पिताजी ने बोला, "सुनो table में Bank का passbook रखा है, उसे update कर के लाओ।"

अजय: मैं श्याम को update करूँगा। अभी मुझे..

पिताजी: हा मैं तो भूल ही गया था। तुम्हे तो ISRO जाना है। राहु-केतु black hole का अविष्कार करने।

तभी अजय की माँ आयी और उसने कहना शुरू किया, "मेरे बेटे को बार बार डांटा मत कीजिये। दिमाग मे खराब असर गिरेगा।"

पिताजी: उसके लिए दिमाग होना भी तो चाहिए। exam मैं तो कभी 50% से ऊपर ला ही नही पाया। पढ़ाई लिखाई तो करता नहीं, कुछ काम करने दो तो जान निकल जाता है। सिर्फ नाचने जनता है।

माँ: आप ही का बेटा है। आप ही का DNA है।

पिताजी: संतान में माँ बाप दोनों का DNA होता है। समझा भी किसे रहा हूँ। बेटे के दिमाग मे कचरा भरा है और माँ के दिमाग मे गोबर।

माँ: क्या कहा आपने...

इस family drama के बीच अजय चुप चाप table पर रखे passbook को लेकर चला गया। थोड़ी देर बाद अजय ATM पहुँचा तो देखा Update करने वाले machine के सामने काफी भीड़ था। लेकिन उसे passbook update करना ही होगा क्योंकि उसे अच्छा बेटा बनना था। लेकिन असल बात यह था कि उसे पिताजी से ओर गालीयाँ नहीं खाना था। इसलिए वह line में खड़ा हो गया। वह थोड़ा दुखी था लेकिन इसलिए नही की पिताजी ने उसे बहुत डांटा बल्कि इसलिए जिस वजह से उसे डाँट पड़ रहा था। हुआ यूं, तीन दिन पहले की बात है college की छुटियाँ शुरू हो चुका था इसलिए अजय और उसके दोस्त कॉलेज के होस्टल में पार्टी कर रहे थे। दारू की party। वह भी दिन में ही। लेकिन तभी अजय के पिताजी हाथ मे complain लेकर hostel पहुँचा और देखा उसका complain boy champion boy बनकर चद्दी पहनकर नाच रहा है। अब ऎसे हालात में कोई बाप अगर अपने बेटे को देखेगा तब थोड़ी न वह भी champion boy बंजायेगा। भले ही college की दिनों में कितना भी champion boy क्यों न बना हो। बस इसलिए complain boy के पिताजी अपने champion boy से नाराज हैं। लेकिन माताजी को यह मालूम नही की उसका बेटा complain boy से champion boy बन चुका है। अजय अपनी आपबीती सोच ही रहा था कि तभी अजय का फ़ोन बज उठा, अजय ने देखा पिताजी का phone है।

अजय: hello देउता (पिताजी)...

पिताजी: क्या हुआ। इतना समय लगता है साधारण से passbook को update करने में।

अजय: ATM में थोड़ा भीड़ हैं।

पिताजी: ATM में भीड़ है या दारू के दुकान में भीड़ है।

अजय: देउता अब हो गया । दोस्तो के साथ थोड़ा सा पी लिया। आप भी तो पीते होंगे।

पिताजी: जिंदगी में... जिंदगी में शराब को हाथ तक नही लगाया।    

अजय: तो आपके beg में जो Old Monk का bottle है उसमें क्या लाल चाय भड़के रखे है...Hello... hello देउता...

पिताजी ने फ़ोन काट दिया। अजय समझ गया इसका अलग से हिसाब होगा। अजय update machine के नज़दीक पहुँचा की तभी एक आदमी ने पीछे से बोला, "बेटा मुझे थोड़ा काम है। अगर पहले मुझे...."

अजय: हाँ हाँ Uncle क्यों नहीं।

Uncle: Thank you...

उस uncle ने Bag से एक plastic निकाला जिसमे 6 passbook थे। उसे देख पीछे से एक आदमी ने मजाक करते हुए बोला, "चाचाजी गांव के लोगों का भी passbook लाए है?" उन्होंने उसके के बातों पर ध्यान नहीं दिया और passbook update करने लगा लेकिन उन्हें Passbook अच्छे से update करना नही आता था। थोड़ा confuse था तो अजय ने कहा, "दीजिये uncle मैं कर देता हूँ।"

Uncle: क्यों? ना तुम मुझे जानते हो न मैं तुम्हे जनता हूँ। ऐसे में तुम...

अजय: जी जी uncle, कोई बात नहीं। आप ठीक ही कह रहे है। ना आप मुझे जानते है ना मैं आपको जनता हूँ ऐसे में किसी को अपना passbook देना उचित नहीं और एक इंसान को देना तो बिल्कुल भी उचित नहीं क्योंकि इंसान दुनिया का सबसे हैवान जानवरो में से एक हैं जिसके पास दिमाग है जिस दिमाग को भगवान ने दुनिया के भलाई के लिए दिया है लेकिन इंसान उसे सिर्फ अपने भले के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

अजय ने मन ही मन यह कहा; तब तक uncle का काम भी हो गया था और अजय ने अपना passbook निकला और machine में डाला कि तभी machine खराब हो गया। "धै दिन ही खराब है। जब दिन खराब होता है तब सब चीज खराब होने लगता है।" अजय ने मन ही मन यह सोचा। अजय को बड़ा गुस्सा आया लेकिन कर भी क्या सकता था। पर अजय को जैसे भी passbook update करना ही था और इसलिए वह ऊपर Bank में गया। Bank में बहुत भीड़ था। लेकिन अजय के हिम्मत में बहुत जोड़ था। इसलिए अंत मे update करने में वह सफल हो गया। अजय बहुत खुश था। यह जीत का खुशी था। मेहनत का फल पाने का खुशी था जिसे खाया नहीं जा सकता सिर्फ महसूस किया जा सकता हैं और अजय इसी महसूस के साथ खुशी खुशी घर पहुँचा और बड़े गर्व और style से passbook को पिताजी के सामने रख दिया । वह मन ही मन कह उठा देख तेरे नालायक बेटे ने अंत में passbook update कर ही लिया। बहुत आंधी आये बहुत तूफान आये लेकिन उन आंधी और तूफानों में इतना दम नहीं था कि वह मेरे हौसले को पस्त कर सकते मेरे जूनून को हिला सकते।" यह कह कर अजय ने बड़े गर्व के साथ पिताजी के सामने के सोफे में बैठ गया। पिताजी ने अजय के मन को पढ़ लिया और बड़े style से passbook का पहला पन्ना हटाकर अजय को दिखाया। उसे देख अजय चोक गया। सारा गर्व बरफ की तरह पिधल गया। क्योंकि उसमें अजय का तस्वीर था। मतलब अजय ने पिताजी का समझ के अपना ही passbook update करा लिया। तब पिताजी ने बोला,

पिताजी: अगर गधे के भी दिमाग का research हो तो तुमसे ज्यादा अकलमंद निकलेगा। इतना भी अक्ल नहीं कि table में कितना passbook रखा हुआ है, किसका passbook ले रहा हूँ थोड़ा देख लू। लेकिन नहीं तुम्हे तो दूसरों के beg को देखना है। Bag में रखें Old Monk को देखना हैं। कान खोलकर सुन कितने भी आंधियों से लड़ ले कितने भी तूफानों से जंग जीत ले लेकिन चूहे का शिकार करने वाले बिल्ली के पास इतना ताकत नहीं कि वह शेर का शिकार कर ले। समझा इसलिए मैरे beg को और बेग में रखें Old Monk को तुमने नहीं देखा।

माँ: क्या?...

अजय की माँ आ गई।

माँ: आपने क्या कहा

पिताजी: मैंने क्या कहा? कुछ नही।

माँ: अपने Old moonk ऐसा कुछ कहा।

पिताजी: हाँ हाँ... ओह Old Monk। बूढ़ा साधु। सुना है हमारे यहां एक बूढ़ा साधु आया है उन्हीका दर्शन करने की बात कर रहा था। है ना बेटे।

अजय: मैंने तो नहीं सुना।

अजय के मुँह से यह शब्द निकल गया। उसके पिताजी ने बड़े बड़े आखों से उसे देखा। जैसी कि कोई  शिकारी अपने शिकार को देखता है। ठिक उसी तरकी से अजय के माँ ने भी अपने शिकार को देखा। और फिर से एक महाभारत शुरू हुआ। इसलिए अजय चुप चाप table में रखे पिताजी का passbook ले लिया और फैसला किया कि अब कोई भी काम करने से पहले बहुत ही सोच समझ के करेगा नहीं तो सारा मेहनत पानी मे चला जायेगा। अजय यह सोचकर निकल ही रहा था कि तभी पत्नी की गलियां खाते हुए खड़े शेर के ऊपर उसका नजरें गिरा जो आंखों ही आँखों से अजय को कह रहा था, "बेटा तू पहले passbook update करके घर आ उसके बाद में तेरा update करूँगा।" अजय मायूस होकर घर से निकला और मैने कहानी का पन्ना यही समाप्त किया।

॥ धन्यवाद ॥



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