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The Judgment Day a first die in the night of fear । खौफ की रात में पहला मौत


The Judgment Day a first die in the night of fear । खौफ की रात में पहला मौत
The Judgment Day a first die in the night of fear । खौफ की रात में पहला मौत
.....आदमी नयन  की तरफ देखकर कहता हैं, "हर जीव, हर ग्रह, हर नक्षत्र का अपना एक मंजिल होता हैं। हम उस मंजीर के ना तो पीछे रुक सकते हैं और नाही आगे जा सकते हैं। भले ही हम आगे जाना क्यों ना चाहे। यह ब्रम्हाण्ड का कानून निर्णय करेगा की कौन आगे जाएगा और कोन पीछे रुकेगा। ब्रम्हाण्ड ने तुमलोगो का फैसला कर लिया हैं। आज रात ब्राह्मण्ड के सिपाहियों ने तुमलोगों को मेरे पास भेजा हैं। मेरा जो काम हैं वह में कारने के लिए विवस्थ हु। तुम लोगो का कर्म ही तुमलोगो को कोनसा सजा मिलेगा वह निर्णय करेगा। यह खौफ का आरम्भ है। आज तुम लोगों का Judgment Day है। तैयार रहो, मौत तुम सब के लिए आ रहा है। इस अंधेरी रात में पहली मौत की घोषणा हो सुका हैं। 
उसे सुनकर सब लोग हैरान हो गए। बिजय को गुस्सा आया। उसने उस आदमी के नजदीक जा कर उस कहा, " पागल हो क्या? दिमाग तो ठीक हे तुम्हारा?"
तभी एक जोर से बिजली कड़कती हैं। सब डर जाते हैं और एक दूसरे को देखने लगते हैं। तभी पुनीत का नजर उस पेड़ पर गिरता है, जहा उह आदमी बेठा हुआ था। पुनित कहने लगता हैं,
पुनीत: अब्बे वह आदमी कहां गायब हो गया।
विजय: भाग गया होगा साला पागल। चलो अभी...
जीनु: हाँ हाँ! चलो। नही तो खौफ की रात में पहला मौत मेरा ही ना हो जाए। दिल तो बड़े ही तेजी से धड़क रहा हैं। और वह आदमी सिर्फ नयन की तरफ देखकर ही क्यों बात कर रहा था।
पुनीत: क्योंकि उस पागल ने नयन के गले मे रुद्राक्ष का माला देख लिया था। समझ गया होगा की यह बाबाजी हैं। इसलिए इसको गांडू बनाते हैं। 
नयन: सब चीज में मुझे बाबाजी बाबाजी कहना बंद करो। तुम पैसे वाले हो इसका मतलब यह नहीं कि तुम कुछ भी कहोगे। में भगवान को मानता हूं। क्योंकि यह मेरा विस्वास है। तुम नहो मानते क्योंकि वह तुम्हारा विस्वास हैं। लेकिन जो होना होता हैं वह तुम्हारे और मेरे विस्वास से नही होगा। 
विजय: क्या घंटा होगा। चलो अभी यहा से।
नयन: लेकिन कहा से जाएंगे। आये कहा से थे वही नहीं मालूम।
विजय: क्या आये कहा से थे? एक ही रास्ते से तो आये थे। 
जीनु: यहाँ तो पांच रास्ते हैं।
सब सारो तरफ देखते हैं। सभी चोक जाते हैं। सभी के मन मे एक ही सवाल, "यह कैसे हो सकता हैं?" सब अपने अपने तरीके से जवाब खोजते है। लेकिन कितना भी जवाब क्यों ना खोजे इसका सही जवाब वह आदमी ही दे सकता था।
विजय: सब ने सिर्फ उस आदमी के ऊपर ही नजर रखा। आस पास ध्यान ही नही दिया। अब बताओ कौन से रास्ते जाए।
पुनीत: सभी को एक ही रास्ते जाना होगा। उसने जान बूझकर हमें ऐसे रास्ते मे फसाया हैं।
जीनु: हम तो चार हैं, लेकिन यहा तो पांच रास्ते हैं। उसने हमें यहा ही क्यों लाया।
विजय: (मजाक करते हुए) अभी गाँव के लोगो को थोड़ी ना मालूम था की यहाँ चार लोग आएंगे। उन लोगों को Confuse करने के लिए पांच नही चार रास्ते बनाने से ठीक रहेगा। इतना भी अक्ल नही हैं। जब डर लगता हैं तभी भ्रम होता हैं।
पुनीत: (चिढ़ाते हुए) बाबाजी तुम क्या सोच रहे हो?
विजय: उसे चिढ़ाना बन्द करो अभी। हम लोग आगे वाले रास्ते से चलते हैं। क्योंकि हमलोग उसी रास्ते से आये थे।
जीनु: हा हा! मुझे भी यही लगता हैं।
पुनीत: तो फिर चलो।
सब जाने को तैय्यार होते हैं। लेकिन नयन कुछ सोच रहा होता हैं। 
पुनीत: ओह बाबाजी। कुछ मंत्र पड़ रहे हो क्या? चलो या फिर यही रहोगें उस पागल के साथ। 
नयन को चिढ़ाकर पुनीत हँसने लगता हैं। लेकिन नयन पुनीत की बातों पर ध्यान नही दिया। क्योंकि उसे मालूम था कि वह लोग कितने गहराई में फास सुके है। नयन कहता हैं, "तुम लोगो को लगता है की हमलोग उस रास्ते से आये थे। पहले मुझे भी यही लगा था। लेकिन बाद में जब मैने थोड़ा सोचा तो मुझे यकीन हो गया की हमलोग उस रास्ते से नही आये थे। आने के समय रास्ते मे एक आम का पेड़ था। लेकिन अभी वहां कोई पेड़ नही हैं। बल्कि पांच रास्तों मे से कही भी आम का वह पेड़ नही हैं। 
जीनु: हाँ! मैने वह पेड़ देखा था। 
विजय: पेड़ सबने देखा था। December के महीने में पके हुए आम का पेड़ थोड़ा अजीब लगता हैं।
नयन: और अजीब लगता हैं December के महीने में ऐसे बिजली कड़कना।
नयन की बाते सुनकर जीनु को डर लगने लगता हैं। जीनु को डरा हुआ देख विजय नयन को कहने लगता हैं, "अभी जो भी हो हमें एक ही रास्ते जाना होगा। और जीनु तुम डरो मत। शिवसागर मैं आई हो feel like a Jaymati।  कुछ नहीं होगा। यह सब एक इत्तेफाक़ भी हो सकता हैं।" 
जीनु: लेकिन वह आम के पेड़ का गयाब होना?
सभी लोग समझ तो जाते हैं की कुछ तो गड़बड़ हैं, कुछतो अजीब सा हैं । नयन पाँचो रास्ता के करीब जाता हैं। विजय भी उसके पास जाता हैं। नयन को सोचते हुए देख विजय पूछता है, "क्या सच में भूत होते हैं?" विजय को देख नयन समझ जाता हैं कि विजय को धीरे धीरे भूतो पर विस्वास होने लगा है। नयन कहने लगा,
नयन: क्यों? तुमतो भूत प्रेत, यह सब भ्रम समझते थे। आज क्या हुआ।
विजय: विस्वास अभी भी नहीं हैं। लेकिन कुछ चीजो के करण कुछ अजीब सा लग रहा हैं। यह जगह थोड़ा तो अजीब हैं। 
नयन: थोड़ा नही बहुत अजीब हैं। ठंडी का मौसम हैं। पेड़ो में गर्मी के दिनों के फल लगे हुए हैं। पेड़ में कौवे उलटे सो रहे है। आसमान मे तारे नही हैं। थोड़ी देर पहले यहाँ पाँच रास्ते थे अभी चार हैं। समझ में नही आ रहा हैं कि हम लोग कहां हैं। यह रात कोई साधारण रात नही हैं खौफ की रात हैं।
नयन की बातें सुनकर विजय चारो तरफ देखता हैं। वह चौंक जाता हैं। नयन और विजय को बातें करता देख पुनीत मुस्कुराता हैं। जीनु डरी हुई थी। पुनीत कहने लगता हैं,"देखों बाबाजी को, विजय को कुछ पट्टी पढ़ा रहा हैं। पक्का उसे भूतो-प्रेतों की कहानी बता रहा होगा।" नयन की बेइज्जती का मौका मिलने से कभी पीछे ना हटने वाली जीनु अब पुनीत की बातें सुनकर चुप रहने कहता हैं। शायद अपने अंदर के डर के बजे से। रात का खौफ धीरे धीरे बढ़ रहा था। उन लोगों के लिए मौत आ रही है। भय की रात की पहली मौत उसका पहला चारा लेने की प्रतीक्षा कर रही थी।
उस रात के सन्नाटे में हल्का सा आवाज भी बहुत जोड़ से सुनाई रहा था। ऐसे में चारों को एक आवाज सुनाई देता हैं। चारों चौक जाते हैं। नयन और विजय समझ नही पाते कि वह किस सीज का आवाज हैं। दोनो ध्यान से देखने और सुनने की कोशिश करते हैं। तभी उस आवाज की गति तेज हो जाती हैं। वह आवाज चारों के दिल की धड़कन को तेज कर देता हैं। जीनु डर से चीखती हैं। सभी जीनु के सामने आकर उसे शांत करने की कोशिश करता हैं। जीनु रोने लगती हैं। तभी वह आवाज फिर से उनलोगों के कानों में गिरता। ऐसा लग रहा था जैसे कि वह चीज उनलोगों के एकदम नजदीक हो। चारों उस आवाज की तरफ देखते हैं। तभी जीनु के कानों में कुछ बच्चों की आवाजे सुनाइ देती हैं। जीनु मुड़ कर उन आवाजो के करीब जाती हैं। पीछे मुड़ कर देखती हैं तीनों दोस्त भी उसके पीछे पीछे आ रहे थे। जीनु तीनों के चहरे में डर देखती हैं। तीनों डर से काप रहे थे। उनलोगों को डरते हुए देख जीनु और ज्यादा डर जाती हैं। बच्चों की आवाजें जीनु को अपनी तरफ खीच रही था। अंत में जीनु उन बच्चों के करीब पहुँच जाती हैं। वह बच्चे बड़े ही प्यारे थे। वे सारे बच्चे आपस में खेल रहे थे। उन बच्चों को खेलता हुआ देख जीनु शांत हो जाती हैं। उसके अंदर से डर खत्म हो जाता हैं और अपने दोस्तों को कहती हैं, "Friends हमलोग शायद ऐसे ही डर रहे थे। यहाँ कोई भूत प्रेत नही हैं।" यह कह कर जीनु पीछे मुड़ती हैं।
इधर नयन, विजय और पुनीत तीनों के कानों में वह आवाज धोरे धीरे साफ होते जाता हैं। जैसे ही वह आवाज पूरी तरीके से साफ सुनाई देता हैं तीनो चौक जाते हैं और विजय कहने लगता हैं, "अरे यह तो जीनु की चीख हैं। लेकिन जीनु तो हमारे साथ हैं।" मुड़कर देखने पर उनलोगों को मालुम चलता हैं कि जीनु वहाँ नही हैं। जीनु को वहां ना देखकर तीनो डर जाते हैं। और तभी जीनु की एक चीख उनलोगों को झंझोड़ देता हैं। वह लोग उस आवाज के पीछे भागते हैं। 
पीच्छे मुड़कर जीनु देखती हैं यहाँ उसके दोस्त नही बल्कि वह आदमी खड़ा हैं। जीनु जोर से चीखती हैं और उन बच्चों के बीच गिर जाती हैं। तभी एक बच्चा जीनु के नजदीक आ कर कहता हैं, "आपने मुझे जो कहा माँ को भी यही कहना। नही तो माँ सिर्फ रोती रहेगी ।" यह बातें सुनकर जीनु चौक जाती हैं। जीनु की धड़कने तेज हो जाती हैं लेकिन इस बार डर की बजे से नही उस 10 साल पुराने हादसे की बजै से। 
उस समय जीनु के पिताजी एक शक्तिशाली विधायक था। बहुत क्षमता था। ऐसे में विधायक की इकलौती बेटी का अहंकार होना स्वाभाविक बात था। उस समय जीनु ने अपना एक Medicine Distribution का बहुत बड़ा Company खोली थी। इसी Company के जरिये ज्यादा मुनाफा कमाना के लिए जीनु और उसके पिता ने ऐसे दवाइयों को बेचने की इजाजत दे दी जो बाद में जानलेवा साबित हुई। कई बच्चे बीमार पड़ गए थे। तभी जीनु और उसके पिता एक दिन लोगों के सामने अच्छा बनने के लिए Hospital बच्चों को देखने गए थे। तभी जीनु ने बच्चों को बड़े प्यार से समझाया था। जीनु की बातें सुनकर एक बच्चे ने उसे कहा था, "आपने मुझे जो कहा माँ को भी यही कहना। नही तो माँ सिर्फ रोटी रहेंगी।" 
जीनु उस बच्चे को देख डरने लगती हैं। मन ही मन सोचती हैं, "यह बच्चा तो मर सुका था। यह सभी बचें तो मर सुके थे।" यह सोंचकर जीनु उस आदमी के तरफ देखती हैं और वहां से भागने लगती हैं। जीनु अपने शरीर के ताकत से दौड़ती हैं। तभी जीनु के आगे वह आदमी आ जाता हैं। जीनु दौड़ती रहती हैं वह आदमी जीनु के आगे रहता हैं। वह आदमी जीनु कहता हैं, "तुम लोगों के नजरों से भाग सकती हो लेकिन अपने कर्मो से नहीं। आज तुम्हारा Judgement Day। तुम्हारा फैसला आ सुका हैं।" जीनु हाथ जोड़ कर रो रो कर उसे जान की भीग मांगती हैं। उसे रोते हुए देख उह आदमी जीनु को कहता हैं,"अपने लालश और क्षमता में लोग अंधे बन जाते हैं। उसे कुछ नही दिखता। यही लालश और पिता के क्षमता ने तुम्हे अंधा बना दिया था। तुम ने जरा भी उन दवाइयों के बुरे परिणामों के बारे में नही सोचा। लेकिन आज तुम्हे एहसास हो रहा हैं कि तुमने कितना बड़ा पाप किया था ।" 
जीनु: मुझ से गलती हो गयी मुझे माफ़ कर दो। उन कंपनियों ने मुझे और मेरे पिता को बहुत पैसे दिए थे। हमें कुछ नही दिखा। हमने सोचा नही ही था कि ऐसा कभी होगा । लेकिन जो हुआ उसका मुझे बहुत ही अफ़सोस भी था।
आदमी: अफसोस तो एक दिखावा था। जो तुम लोगो के साथ साथ अपने आप को भी दिखा रही थी। 
जीनु: मैं हाथ जोड़ती हूँ, मुझे जाने दो । में मरना नही चाहती। एक गलती के लिए मुझे इतनी बड़ी सजा मत दो।
आदमी: तुम्हे एक गलती की सजा नही बल्कि कई गलतियों की सजा मिल रही हैं। 
जीनु थककर गिर जाती हैं। वह पीछे मुड़ कर देखती हैं कि वह बच्चे "मुझे माँ-पिता के पास जाना हैं" बोलते हुए जीनु के नजदीक आ रहे थे। जीनु रोने लगती हैं। चिल्लाना लगती हैं। तभी उसे तीनो दोस्त दिखते हैं जो जीनु को ढूंढ रहे थे। जीनु उन तीनों के नजदीक जाती हैं। लेकिन जीनु को कोई देखता नही। वह आदमी जीनु को कहता हैं, "तुम्हे वह लोग नही देख सकते। तुम जितना भी कोशिश कर लो तुम बच नही सकती। आज इस खौफ की रात में पहला मौत तुम्हारा होगा।" तीनो दोस्तों जाने लगते हैं। जीनु तीनो को जाते हुए देख पागलो की तरह दौड़ती हैं। तभी जीनु अचानक एक पत्थर के ऊपर गिर जाती हैं। जीनु को सिर में चोट लगती हैं। सिर से खून निकलने लगता हैं। वह आदमी जीनु के नजदीक आता हैं, "कहा था ना कोई फायदा नहीं। अपनी जान को कोई गवाना नही चाहता हैं लेकिन एक दिन गवाना पड़ता हैं।" जीनु उसके बातों को सुनकर जीवन के निर्मम सत्य को स्वीकार कर लेती है और कहती हैं, "अगर मैने जीवन में कभी भी कोई अच्छा काम किया हो तो मुझे अपने दोस्तों से बात करने का एक मौका दो।" तभी नयन जीनु को देख लेता हैं। तीनो दौड़कर जीनो के नजदीक आता हैं। जीनु को उस हालात में देख सब डर जाते हैं। नयन जीनु को पूँछता हैं, 
नयन: यह सब कैसे हुआ? 
जीनु: मुझे अपने कर्मो का सजा मिल गया हैं। उन मासूम बच्चों के खून का सजा मुझे मिल सूका हैं।
नयन: मासूम बच्चों का?
जीनु: हाँ। 10 साल पहले जो मासूम बच्चे मारे थे उसका असली कारण वह जहरीला दवाई था। मैने और पिताजी ने लोगों के सामने तो उसका असली कारण छुपाया था लेकिन भगवान के सामने कुछ नही छुपता। समय आने पर सबको सजा मिलता हैं। आज मुझे अपने पाप का सजा मिल सुका हैं। में नही चाहती कि मेरे पिताजी को भी ऐसा सजा मिले। इसलिए नयन तुम अगर बस जाओ तो Police को सब कुछ बता देना। सबूत के तोड़ पर पिताजी के Locker में कुछ File छुपाकर रखा हुआ हैं। तुम उन File ओ के मदद से पिताजी को सजा दिला सकोगें।
नयन: तुम्हे कुछ नही होगा जीनु। हम तुम्हें कुछ होने नहीं देंगे।
जीनु: नयन तुम बहुत अच्छे इंसान हो। मैने हमेशा तुम्हारा मजाक उड़ाया हैं। तुम्हें तकलीफ पहुंचाई है।और अब हमारे बजे से तुम भी मुसीबत में फस गए हो । हो सके तो हमे माफ़ कर देना।
नयन: तुम ऐसे मत कहो। 
जीनु: विजय और पुनीत तुम लोग मेरे अच्छे दोस्त हो। लेकिन मैंने तुमलोगों से दोस्ती इसलिए कि थी कि जरूरत के सयम तुम लोगों का इस्तेमाल कर सकू। मुझे माफ़ कर देना।
जीनु की बाते सुनकर विजय और पुनीत "जीनु को कुछ होने नहीं देगा”। लेकिन जीनु जानती हैं कि कोई कुछ नही कर सकता। जीनु आसमान में उंगली दिखा कर कहती हैं,"देखो उह बच्चे मैरे लिए ही रुके हुए थे। मैने उनको माँ बाप से अलग किया था। आज मैरे कर्मो ने मुझे अपने माँ बाप से अलग कर दिया। उह बच्चे मुझे बुला रहे हैं। मुझे जाना होगा।" जीनु बचों को जाते हुए देखती हैं। जीनु चिल्लाती हैं, "वह बचें अकेले ही जा रहे है। रुको रे लिए। तुमलोगों मुझे माफ़ किए बिना नहीं जा सकते। रुको... रुको।" एक तेज हवा का झोंका आता हैं और जीनु के आत्मा को अपने साथ ले जता हैं। तीनो पत्थर की तरह सब चुपचाप देखता रहता है।


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