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Kids story in Hindi एकता में शक्ति होता है |
Kids story in Hindi एकता में शक्ति होता है
असम में कलितापुर नामक एक गाँव था। बड़ा सुंदर गांव था। जितना सुंदर गाँव था उतना ही सुंदर और अच्छे वहां के लोग थे और उन लोगों से भी अच्छा वहां का मुखिया था। वह मुखिया हमेशा गांव के भले के लिए काम करता रहता था। गाँव को एकजुट रखने के लिए हमेशा मेहनत करता रहता और उनके मेहनत के वजे से गांव के लोग आपस मे मिलजुल कर रहते थे। गांव का मुखिया गांव के लोगों को तो एकजूट करने में सफल था लेकिन अपने तीन बेटों
को एकजुट करने में हमेशा असफल हो जाता। उनके तीन बेटे हमेशा छोटी छोटी बातों में आपस मे झगड़ा करते रहते थे। कोई किसी की बात नहीं सुनता था। मुखिया जी अपने बेटों को समझाने की बहुत कोशिश
करते थे, कहते थे, "आपस मे झगड़ा मत करो। हमेशा मिलजुल कर रहों। अगर कोई समस्या है तो उसे मिलजुल कर समाधान करो। एकता में शक्ति होता है और अनेकता में कमजोरी। इसलिए हमेशा एकजुट होकर रहो।"
मुखिया जी के इन बातों का उनके बेटों के ऊपर कोई असर नही होता था। इस वजे से मुखिया जी हमेशा दुखी रहते थे।
मुखिया जी के उनके बेटों के अलावा इस दुनिया मे और कोई नही था। अपने बेटों को हमेशा लड़ते देख मुखिया जी को बहुत तकलीफ होता था। उन्हें समझ मे नही आ रहा था कि अपने बेटों को कैसे समझाए। ऐसे में एक दिन मुखिया जी घर के बाहर इसी चिंता में बैठे हुए थे। तभी उनका नजर सामने पड़े लकड़ियों पर गिरा। कुछ लकड़ियां ऐसे पड़े हुए थे और कुछ लकड़ियां आपस मे बंधे हुए थे। अकेले पड़े हुए लकड़ियां बिखरे और टूटे हुए थे और एक साथ बंधे हुए लकड़ियां मजबूती
के साथ खड़े थे। उनके दिमाग में एक तरकीब आया। उन्होंने अपने बेटों को बुलाया। पहली बार बुलाने पर उनके बेटे नही आए क्योंकि वे लोग झगड़ा
करने में व्यस्त थे। लेकिन दो तीन बार बुलाने पर उनके बेटे उनके सामने आ गए। उन्होंने पहले अपने बड़े बेटे को एक लकड़ी उठाकर तोड़ने को कहा। बड़े बेटे ने लकड़ी बड़ी आसानी से तोड़ दिया। मुखिया जी ने अपने दूसरे और तीसरे बेटे को भी ऐसे ही एक एक लकड़ी तोड़ने को कहां और दूसरे और तीसरे बेटे ने भी एक दूसरे को देखकर एक मुक्के में लकड़ी तोड़ दिया। हाथों से लकड़ी तोड़कर उनलोगों को बहुत गर्व का महसूस हुआ। लेकिन अब बारी थी एक साथ बंधे हुए लकड़ी को तोड़ने की। मुखिया जी ने पहले अपने बड़े बेटे को बुलाया और एक साथ बंधे हुए लकड़ी को तोड़ने को कहा। बड़े बेटे ने बहुत
कोशिश किया लेकिन वह लकड़ी तोड़ नही पाया। उसे देख उनके दो भाई हँसने लगे। दो भाई कहने लगे, "बड़े भाई बूढ़ा हो चुका है। शरीर मे दम नही है और हमसे झगड़ा करने आता है।"
बड़ा बेटा मुंह लटकाते हुए बैठ जाता है।
मुखिया जी अब अपने दूसरे बेटे को बुलाता है। दूसरा बेटा सीना
तान के एक साथ बंधे हुए लड़की को तोड़ने की कोशिश करता है लेकिन वह लकड़ी तोड़ने के चक्कर में अपना हाथ तुड़वा बैठता है पर लकड़ी नही तोड़ पाता। उसे देख छोटा बेटा बहुत हँसने लगता है और कहता है,
"तुम दोनों एक नंबर के निकम्मे हो। एक साधारण लकड़ी के गुच्छे को तोड़ नही पाए।"
अब बारी थी तीसरे बेटे की। तीसरा बेटा बड़े Style
में चलकर एक साथ बंधे लकड़ी को तोड़ने गया। लेकिन लकड़ी तोड़ते समय उसका सारा style
निकल गया। माथे का पसीना पावो तक पहुंच गया लेकिन लकड़ी नहीं टूटा। वह भी मायूस होकर बैठ गया।
अब मुखिया
जी ने अपने तीनो बेटों को एक साथ मिलकर
लकड़ी के गुच्छे
को तोड़ने के लिए कहा। तीनों बेटों ने मिलकर लकड़ी के गुटसे को बड़ी आसानी से तोड़ दिया। तीनों बेटे बड़े खुस हुए। लेकिन तीनों बेटों को समझ में नहीं आया की उनके पिताजी
ने ऐसा करने को क्यों कहा। इसीलिए बेटों ने अपने पिताजी से पूछा की अपने हमे यह लकड़ी तोड़ने के लिए क्यों कहा? तब मुखिया जी ने अपने बेटों को कहां, "जब लकड़ी अकेला था तब तुम लोगों ने बड़े आसानी से उसे तोड़ दिया। लेकिन जब वही लकड़ी एक साथ बंधा हुआ था तब तुमलोग अकेले उसे नही तोड़ पाए। यानी एकसाथ मिलकर रहने वाले को तोड़ना आसान नही है। इसलिए
मैं तुम लोगों को हमेशा मिलजुल कर रहने के लिए कहता हूं। ताकि तुमलोगों को कोई तोड़ न सके।"
पिताजी जी के बातें सुनकर तीनो बेटो को एकता की शक्ति के बारे में समझ में आ गया। तीनो ने एक दूसरे से और अपने पिताजी से माफी मांगी। उस दिन के बाद से तीनो बेटे अपने पिताजी के साथ हँसी खुसी रहने लगे। कभी एक दूसरे से तो क्या गांव के किसी भी आदमी के साथ झगड़ा
नही किया। क्योंकि वे लोग समझ चुके थे, "एकता में शक्ति होता है"।
कहानी
से सीख (Moral
of the story)
तो इस Kids story Hindi से हमलोगों ने क्या सीखा? हमलोगों ने यही सीखा की एकता में शक्ति होता है और अनेकता में कमजोरी। इसलिए हमें हमेशा मिलजुल
कर रहना है। अगर कोई समस्या है तो उसे
मिलजुल कर समाधान करना है लेकिन रहना है मिलजुल कर ही। यही था इस Kids
story in Hindi एकता में शक्ति होता है कहानी की सीख (moral
of the story)।