...उस Killer की चीख नयन और विजय मे कानों में गूंज रहा था। killer
के साथ बिता हुआ हर चीज दोनों को साफ साफ दिखाई दे रहा था। जब killer
का चीख हवा के साथ चला गया तब चारों और सन्तता छह गया था। समय थम छुका था। विजय को डर का अहसास होने लगा। वह समझ छुका था कि वह अपने Killer
के साथ नही बल्कि प्रकृति के बनाए Killer
के साथ हैं। विजय और नयन दोनों ही अपने डर पर काबू करने की विफल कोशिश कर रहे थे। वह मौत का रक्षक दोनों के नजदीक खड़ा हो गया। उसने पहले दोनों के तरफ ध्यान से देखा और विजय को कहने लगा,
"तुम सोच रहे थे कि तुमने इन लोगों को यहां लाया। लेकिन तुम तो एक गुलाम हो, अपने मन के गुलाम, जो मन सिर्फ अपना स्वार्थ देखता है, जो मन सिर्फ दूसरों को तकलीफ दे कर खुसी महसूस करता है। तुम उस मन के गुलाम हो जिस मन मे मै बस्ता हूं। तुम मेरे गुलाम हो। आज इस Judgement
Day के दिन तुम्हारे गुलामी का तुम्हे इनाम दिया जाएगा।" यह कहकर वह मौत का रक्षक वहां से गायब हो गया।
दोनों पूरी तरीके से घबरा चुका था। नयन अपने डर पे काबू कर के हर एक चीज को समझने की कोशिश कर रहा था। विजय भी डर पर काबू करने की कोशिश कर रहा था। विजय समझ नहीं पाया उसे क्या इनाम दिया जाएगा। दोनों ही समझ चुके थे कि दोनों एक माया जाल के अंदर है। इस माया जाल से निकलने का सिर्फ एक ही रास्ता है। दोनों ही अपने चारों तरफ देखने लगे। अभी रास्ता तो सिर्फ तीन था लेकिन वह Cigarette
का पैकेट कही नजर नही आ रहा था। वे लोग समझ नही पा रहे थे कि अब क्या किया जाए। विजय नयन को अपनी गलती के लिए माफी भी मांग रहा था लेकिन नयन ने उसके किसी भी बात का कोई जबाब नही दिया ।
वह बस इस सोच में था कि वहां से बाहर कैसे निकला जाए। तभी उन दोनों को एक आवाज सुनाई पड़ता है। दोनों डर जाते है। लेकिन इस बार नयन कहता है,
"यह सब एक माया जाल है। यहां से कही मत जाना। चाहे कुछ भी हो जाए।"
विजय भी यह बात समझ छुका था।
दोनों ने अपने कान बन कर लिए। लेकिन फिर भी वह आवाज दोनों के मन के अंदर गूंज रहा था। आवाज की गति धीरे धीरे बढ़ता गया। वह आवाज धीरे धीरे उनलोगों के नजदीक आने लगा और अंत मे वह आवाज एक बूढ़ी औरात का रूप ले छुका था। उस बूढ़ी औरात को देख नयन का होश उड़ गया। वह बूढ़ी औरात नयन को पुकार रही थी, "मैने तुम्हे यहाँ आने के लिए मना किया था। तुम्भी जानते थे विजय अच्छा आदमी नही है; मैरे इलाज के बहाने वह तुम्हरा गलत इस्तेमाल कर रहा है। फिर भी तुम उसका गुलाम बनकर रहे। अभी उसका साथ छोड़कर तुम मैरे साथ चालो।" नयन अपने माँ को देख दौड़कर उसके नजदीक जाने ही वाला था कि एक बड़ा सा दैत्य आकर नयन के माँ को अपने साथ ले गया। उसे देख नयन चीख उठा। विजय यह देख समझ गया कि वह मौत का रखवाला अब नयन का शिकार करने वाला है और विजय को इनाम में उसका जिंदगी देने वाला है। यह सोच विजय मन ही मन खुश होने लगता है। लेकिन नयन रोने लगता है और वह दैत्य भागे हुए रास्ते जाने ही वाला होता है कि विजय उस दैत्य को एक अलग रास्ते भागते देख नयन को आने के लिए कहकर उस रास्ते चल देता है। विजय दैत्य के पीछे तेज़ी से दौड़ता है क्योंकि वह जानता है कि वह दैत्य उसे कुछ नही करेगा। नयन विजय के पीछे भागने लगता है। नयन के कानों में उसके माँ की चीख सुनाई दे रहा था। यह जानते हुए भी की यह एक माया जाल है वह तेज़ी से दौड़ने लगा। वह अपने भगवान से कहने लगा, "भगवान आपको मेरे भक्ति का वास्ता मैरे अच्छे कर्मों का वास्ता, मैरे माँ को कुछ होने मात दीजिये।" थोड़ी दूर जाने के बाद अचानक नयन जमीन में गिर जाता है। वह चारो तरफ देखने लगता है लेकिन उसे कुछ दिखाई नही देता। वह रोने लगता है। अपने भगवान को कोसने लगता है और चिख चिख कर कहने लगता है, "अगर हैवान है तो भगवान भी है। मुझे मालूम नही जिस भगवान को मै मानता हूं उसका कुछ अस्तित्व है कि नही लेकिन मैं इतना जनता की मेरे भक्ति में सच्चाई है। मैं जानता हूं मेरे रोने से या मैरे चीखने से आप पर कुछ असर नही होगा क्योंकि आप इंसान नही बल्कि भगवान है। लाखो सालो से अपने मैरे जैसे लाखो लोगों को रोते हुए देखा है, लेकिन अपने वही किया जो आपको करना था। लेकिन आज आपको मेरे भक्ति का वास्ता है, आपको मैरे अच्छे कर्मों का वास्ता है। मैरे माँ को कुछ मत होने दीजिए। मेरी माँ ने सारी जिंदगी सिर्फ तकरिफे सही है। उसे इतनी दर्दनाक मौत मात दीजिये। भगवान मैरे माँ को बचा लीजिये।" यह कहकर वह जोर जोर से रोने लगा। वह पागल जैसा हो छुका था। तभी उसकी नजर उस मौत के रक्षक के ऊपर गिरा जो उसे देख मुस्कुरा रहा था। उसे देख नयन हाथ जोड़कर घुटनो के बल गिर गया। वह मौत का रक्षक मुस्कुराकर वहां से गयाब हो गया। नयन रोते रोते अचानक उसके मन में एक बात भूमने लगा। वह सोचने लगा, "जब वह दैत्य जाने वाले रास्ते जाने वाला था तब विजय ने उसे रोक दिया और खुद दूसरे रास्ते जाने लगा। उस मौत के रक्षक ने विजय को भ्रमित किया। उसे अपने माया जाल में फसा लिया। उसे इनाम देनी की बात कहकर उसे भ्रमित कर रहा है। शायद उसे इनाम में..." यह सोचकर नयन विजय को चारों तरफ ढूंढे लगा लेकिन विजय कही दिखाई नही दे रहा था।
दोनों ने अपने कान बन कर लिए। लेकिन फिर भी वह आवाज दोनों के मन के अंदर गूंज रहा था। आवाज की गति धीरे धीरे बढ़ता गया। वह आवाज धीरे धीरे उनलोगों के नजदीक आने लगा और अंत मे वह आवाज एक बूढ़ी औरात का रूप ले छुका था। उस बूढ़ी औरात को देख नयन का होश उड़ गया। वह बूढ़ी औरात नयन को पुकार रही थी, "मैने तुम्हे यहाँ आने के लिए मना किया था। तुम्भी जानते थे विजय अच्छा आदमी नही है; मैरे इलाज के बहाने वह तुम्हरा गलत इस्तेमाल कर रहा है। फिर भी तुम उसका गुलाम बनकर रहे। अभी उसका साथ छोड़कर तुम मैरे साथ चालो।" नयन अपने माँ को देख दौड़कर उसके नजदीक जाने ही वाला था कि एक बड़ा सा दैत्य आकर नयन के माँ को अपने साथ ले गया। उसे देख नयन चीख उठा। विजय यह देख समझ गया कि वह मौत का रखवाला अब नयन का शिकार करने वाला है और विजय को इनाम में उसका जिंदगी देने वाला है। यह सोच विजय मन ही मन खुश होने लगता है। लेकिन नयन रोने लगता है और वह दैत्य भागे हुए रास्ते जाने ही वाला होता है कि विजय उस दैत्य को एक अलग रास्ते भागते देख नयन को आने के लिए कहकर उस रास्ते चल देता है। विजय दैत्य के पीछे तेज़ी से दौड़ता है क्योंकि वह जानता है कि वह दैत्य उसे कुछ नही करेगा। नयन विजय के पीछे भागने लगता है। नयन के कानों में उसके माँ की चीख सुनाई दे रहा था। यह जानते हुए भी की यह एक माया जाल है वह तेज़ी से दौड़ने लगा। वह अपने भगवान से कहने लगा, "भगवान आपको मेरे भक्ति का वास्ता मैरे अच्छे कर्मों का वास्ता, मैरे माँ को कुछ होने मात दीजिये।" थोड़ी दूर जाने के बाद अचानक नयन जमीन में गिर जाता है। वह चारो तरफ देखने लगता है लेकिन उसे कुछ दिखाई नही देता। वह रोने लगता है। अपने भगवान को कोसने लगता है और चिख चिख कर कहने लगता है, "अगर हैवान है तो भगवान भी है। मुझे मालूम नही जिस भगवान को मै मानता हूं उसका कुछ अस्तित्व है कि नही लेकिन मैं इतना जनता की मेरे भक्ति में सच्चाई है। मैं जानता हूं मेरे रोने से या मैरे चीखने से आप पर कुछ असर नही होगा क्योंकि आप इंसान नही बल्कि भगवान है। लाखो सालो से अपने मैरे जैसे लाखो लोगों को रोते हुए देखा है, लेकिन अपने वही किया जो आपको करना था। लेकिन आज आपको मेरे भक्ति का वास्ता है, आपको मैरे अच्छे कर्मों का वास्ता है। मैरे माँ को कुछ मत होने दीजिए। मेरी माँ ने सारी जिंदगी सिर्फ तकरिफे सही है। उसे इतनी दर्दनाक मौत मात दीजिये। भगवान मैरे माँ को बचा लीजिये।" यह कहकर वह जोर जोर से रोने लगा। वह पागल जैसा हो छुका था। तभी उसकी नजर उस मौत के रक्षक के ऊपर गिरा जो उसे देख मुस्कुरा रहा था। उसे देख नयन हाथ जोड़कर घुटनो के बल गिर गया। वह मौत का रक्षक मुस्कुराकर वहां से गयाब हो गया। नयन रोते रोते अचानक उसके मन में एक बात भूमने लगा। वह सोचने लगा, "जब वह दैत्य जाने वाले रास्ते जाने वाला था तब विजय ने उसे रोक दिया और खुद दूसरे रास्ते जाने लगा। उस मौत के रक्षक ने विजय को भ्रमित किया। उसे अपने माया जाल में फसा लिया। उसे इनाम देनी की बात कहकर उसे भ्रमित कर रहा है। शायद उसे इनाम में..." यह सोचकर नयन विजय को चारों तरफ ढूंढे लगा लेकिन विजय कही दिखाई नही दे रहा था।
विजय उस दैत्य के पीछे दौड़ रहा था। उसने पीछे मुड़ कर देखा लेकिन उसे नयन कही नही दिखा। वह रुक गया। जोर जोर से सांस भरा और कहने लगा,
"बेचारा नयन! सारी जिंदगी भगवान भगवान किया और अंत मे उसी भगवान ने उसका अच्छे से ले लिया। यह कलियुग है। यहां सिर्फ पापियों का बोलबाला चलता है।"
यह कहते ही उसे एक गाड़ी की आवाज सुनाई दिया। वह खुस हो गया। वह मन ही मन उस मौत के
रक्षक का सुक्रिया कहने लगा और गाड़ी के आवाज के पीछे भागने लगा।
थोड़ी देर बाद वह सड़क में पहुँच गया और देखा कि वह बारात की गाड़ी है। दूल्हा Bus में बैठ कर दुल्हन के घर के तरफ जा रहा था। वह Bus को रुकाकर कहता है, "भाई मेरा गड़ी खराब हो गया है। बड़ी मुसीबत में हूं। अगर हो सके तो मुझे भी अपने साथ ले जाओ।" सभी लोग उसे घूर रहे थे। दूल्हे ने उसे Bus में बैठने का इशारा दिया। वह Bus में जाकर बैठ गया। Bus बारातियों से भरा हुआ था। सभी लोग नाच-गा रहे थे। कुछ बच्चे भी अपने माँ के गोदी में बैठकर सो रहे थे। Bus में दूल्हे के पिताजी भी था। लेकिन उसका माँ नही था। उनका शरीर थोड़ा ठीक नही रहता इसीलिए बारातियो में नही आई वरना आने का इच्छा तो बहुत था। विजय ने उनलोगों से काफी बात किया। एक बच्चे के साथ काफी हँसी मजाक भी किया। विजय ने उससे कहा भी था कि वह जा कर थोड़ा सो ले; दुल्हन का घर पहुंचने से उसे उठा देगा। लेकिन तब उस बच्चे ने कहा कि उसे अपने गांव में बने नया पुल देखना है। सभी बच्चे उस पुल को देखने ही बारातियो के साथ आए है।" बच्चा बहुत खुश था। थोड़े समय मे विजय को उनलोगों के साथ बहुत लगाओ हो गया। विजय सबकुछ भूलकर उनलोगों के साथ नाच गाने लगा। तभी उस बचे ने कहा, "देखों हमारे गांव का नया पुल आ गया। माँ माँ नया पुल आ गया। विजय Uncle देखो नया पुल आ गया। सभी बच्चे उठो नया पुल आ गया।" विजय ने भी उस पुल को देखा और डर से काप उठा। क्योंकि वह माया जाल में बना हुआ मौत का पुल था। विजय डर से काँपने लगा और उसने गाड़ी को रुकने कहा। गाड़ी रुक गया। उसने सभी लोगों को समझाया कि इस पुल में क्या हुआ। वह कहने लगा, "यह पुल खराब है। यहां पहले बहुत बड़ा हादसा हो छुका है। एक पूरा बारात पुल से गिरकर..." विजय अचानक रूक गया। वह समझ गया कि यह वही मौत का पुल है। उसने सभी लोगो के तरफ देखा। सभी लोग उसे घूरकर देख रहे थे। वह बच्चा भी उसे घूर रहा था। उस बच्चे को देख बिजय के आँखों से अपने आप आशु निकलने लगा। उसका दिल पिघल चुका था। तभी अचानक गाड़ी चलाना सुरु हुआ। उसने गाड़ी रोकने के लिए कहा, लेकिन इस बार गाड़ी नही रुका वह दौड़कर Driver के नजदीक गया और उस Driver को देख उसका होश उड़ गया। क्योंकि मौत का Driver था वह मौत का रक्षक था। उस मौत के रक्षक ने विजय को कहा, "अपने फायदे के लिए दूसरों को दुख देने वाला आज खुद दुखी है। अपने फायेदे के लिए तुमने यह पुल बानाया था। जिसमे यह लोग गिरकर मर गये थे। अब इन मरे हुए लोगों को देखकर तुम्हे दुख हो रहा है। गाड़ी नहीं रुकेगा।" विजय उसके बाते सुन डर से काप गया। वह गाड़ी से उतर ने ही वाला था कि उसके आखों के सामने सभी लोगों का चेहरा आ गया। वह मासूम बच्चा उसके तरफ देख रहा था। सभी लोग उसके तरफ देख रहे थे।यह जानते हुए भी कि यह लोग मर चुके है। फिर भी नयन गाड़ी से नही उताड़ता है। क्योकि वह टुट चुका था; वह माया जाल मे फस छुका था। विजय लाचार होकर Bus में बैठ गया। वह रोने लगा। तभी Bus में बैठे सभी लोगों ने उससे सवाल पूछना सुरु कर दिया, "हमलोगों ने क्या गलती किया था? क्यों अपने फायदे के लिए हमलोगों का जान लिया।" विजय जोर जोर से रोने लगा तभी उसे नयन का आवाज सुनाई देता है। नयन विजय को कहता है,
रक्षक का सुक्रिया कहने लगा और गाड़ी के आवाज के पीछे भागने लगा।
थोड़ी देर बाद वह सड़क में पहुँच गया और देखा कि वह बारात की गाड़ी है। दूल्हा Bus में बैठ कर दुल्हन के घर के तरफ जा रहा था। वह Bus को रुकाकर कहता है, "भाई मेरा गड़ी खराब हो गया है। बड़ी मुसीबत में हूं। अगर हो सके तो मुझे भी अपने साथ ले जाओ।" सभी लोग उसे घूर रहे थे। दूल्हे ने उसे Bus में बैठने का इशारा दिया। वह Bus में जाकर बैठ गया। Bus बारातियों से भरा हुआ था। सभी लोग नाच-गा रहे थे। कुछ बच्चे भी अपने माँ के गोदी में बैठकर सो रहे थे। Bus में दूल्हे के पिताजी भी था। लेकिन उसका माँ नही था। उनका शरीर थोड़ा ठीक नही रहता इसीलिए बारातियो में नही आई वरना आने का इच्छा तो बहुत था। विजय ने उनलोगों से काफी बात किया। एक बच्चे के साथ काफी हँसी मजाक भी किया। विजय ने उससे कहा भी था कि वह जा कर थोड़ा सो ले; दुल्हन का घर पहुंचने से उसे उठा देगा। लेकिन तब उस बच्चे ने कहा कि उसे अपने गांव में बने नया पुल देखना है। सभी बच्चे उस पुल को देखने ही बारातियो के साथ आए है।" बच्चा बहुत खुश था। थोड़े समय मे विजय को उनलोगों के साथ बहुत लगाओ हो गया। विजय सबकुछ भूलकर उनलोगों के साथ नाच गाने लगा। तभी उस बचे ने कहा, "देखों हमारे गांव का नया पुल आ गया। माँ माँ नया पुल आ गया। विजय Uncle देखो नया पुल आ गया। सभी बच्चे उठो नया पुल आ गया।" विजय ने भी उस पुल को देखा और डर से काप उठा। क्योंकि वह माया जाल में बना हुआ मौत का पुल था। विजय डर से काँपने लगा और उसने गाड़ी को रुकने कहा। गाड़ी रुक गया। उसने सभी लोगों को समझाया कि इस पुल में क्या हुआ। वह कहने लगा, "यह पुल खराब है। यहां पहले बहुत बड़ा हादसा हो छुका है। एक पूरा बारात पुल से गिरकर..." विजय अचानक रूक गया। वह समझ गया कि यह वही मौत का पुल है। उसने सभी लोगो के तरफ देखा। सभी लोग उसे घूरकर देख रहे थे। वह बच्चा भी उसे घूर रहा था। उस बच्चे को देख बिजय के आँखों से अपने आप आशु निकलने लगा। उसका दिल पिघल चुका था। तभी अचानक गाड़ी चलाना सुरु हुआ। उसने गाड़ी रोकने के लिए कहा, लेकिन इस बार गाड़ी नही रुका वह दौड़कर Driver के नजदीक गया और उस Driver को देख उसका होश उड़ गया। क्योंकि मौत का Driver था वह मौत का रक्षक था। उस मौत के रक्षक ने विजय को कहा, "अपने फायदे के लिए दूसरों को दुख देने वाला आज खुद दुखी है। अपने फायेदे के लिए तुमने यह पुल बानाया था। जिसमे यह लोग गिरकर मर गये थे। अब इन मरे हुए लोगों को देखकर तुम्हे दुख हो रहा है। गाड़ी नहीं रुकेगा।" विजय उसके बाते सुन डर से काप गया। वह गाड़ी से उतर ने ही वाला था कि उसके आखों के सामने सभी लोगों का चेहरा आ गया। वह मासूम बच्चा उसके तरफ देख रहा था। सभी लोग उसके तरफ देख रहे थे।यह जानते हुए भी कि यह लोग मर चुके है। फिर भी नयन गाड़ी से नही उताड़ता है। क्योकि वह टुट चुका था; वह माया जाल मे फस छुका था। विजय लाचार होकर Bus में बैठ गया। वह रोने लगा। तभी Bus में बैठे सभी लोगों ने उससे सवाल पूछना सुरु कर दिया, "हमलोगों ने क्या गलती किया था? क्यों अपने फायदे के लिए हमलोगों का जान लिया।" विजय जोर जोर से रोने लगा तभी उसे नयन का आवाज सुनाई देता है। नयन विजय को कहता है,
नयन: वियज तुम मैरे पास आओ। मै तुम्हारे नजदीक जा नही पा रहा हूं।
विजय: नही नयन। मै तुम्हारे पास नही जाऊंगा। मुझे अपने पापों का अहसास हो गया है। मैं आज इस Bus के साथ खाई मे गिरकर अपने पापो का प्रायश्चित करूँगा।
नयन: विजय तुम भ्रम में हो। यह एक
माया जाल है। यहां कोई Bus नही है। कोई खाई नही है। यहां सिर्फ जंगल है। तुम मैरे नजदीक आओ।
विजय: तुम्हे Bus नहीं दिखेगा। क्योंकि यह मेरे पाप कर्म थे। तुम जाओ नयन अपने माँ को बचाओ।
नयन समझ जाता है कि विजय
माया जाल में फंस चुका है। वह अब उसके बातों को नही सुनेगा। इसलिए वह कहता है, "ठीक है विजय तो फिर मुझे भी अपने साथ ले लो। मै भी अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहता हूं। तभी मेरी माँ बस पाएगी।"
यह सुनते ही विजय नयन की तरफ हाथ बढ़ाता है और नयन विजय के हाथ को पकड़ कर खिंच लेता है। विजय Bus से निकल कर जमीन में गिर जाता है। विजय Bus के पीछे दौड़ता है। नयन विजय के पीछे दौड़कर उसे समझाने की कोशिश करता है कि
"खुद को मार कर तुम अपने पापों का प्रायश्चित मात करो। जिंदा रहकर दूसरों की मदद करके अपने पापों का प्रायश्चित करो।"
लेकिन विजय उसके बातो को नही सुनता। वह दौड़ता रहता है। तब नयन कहता है,
"याद है उस हैवान ने क्या कहा था, भगवान तो सिर्फ हमारे सामने रास्ता रखता है। लेकिन कोन से रास्ते जाना है यह मनुष्य को खुद तह करता है। आज तुम्हारे सामने दो रास्ते है, या हैवान के माया
जाल में फसकर मरकर अपने पापों का प्रायश्चित करो या मैरे बातें सुनकर जिंदा रहकर लोगों के मदद के जरिये अपने पापों का प्रायश्चित करो।"
यह बात सुनते ही विजय रूक जाता है। वह नयन की तरफ देखता है। उसे अहसास होने लगता है। तभी विजय और नयन की धड़कने तेज़ हो जाता है जब वह लोग मौत के रखवाले को अपने तरफ आते हुए देखता है। वह विजय के नजदीक आकर कहता है,
"केवल एक साल के अंदर तुम सब भूल जाओगे। तुम फिर पहले वाले विजय बन जाओगे। फिर से तुम बेबस लोगों को तकलीफ दोगे। अपने फायदे के लिए उनलोगों की जान लोगों। अभी अभी तो तुमने सिर्फ अपने एक पाप को देखा है। एक बार नजरें घुमा के देखो तुम्हे अपने पापों का ब्रह्माण्ड नजर आएगा।"
विजय यह सुनते ही चारो तरफ देखता है। उसे चारो तरफ अपने किए गए पाप नजर आता है। उसे लोगों का नजर आता है। उसे लोगों की चीखें सुनाई देता है। वह चिल्लाने लगता है। नयन उसे समझाने की कोशिश करता है लेकिन नयन के बाते उसके कानों तक नही पहुँचता क्योके उसके कानों में तो सिर्फ लोगों के चीखे पहुँच रहा था। वह मौत का रखवाला एक रस्सी के सामने जाता है। जो विजय के दृष्टि में पुल से बंधा हुआ था और नयन के दृष्टि में एक पेड़ से बंधा हुआ था। नयन रस्सी को देख सब समझ जाता है। विजय भी उस रस्सी को देखता है। तभी मौत का सिपाही Bus की तरफ देखकर कहता है, "देखों विजय, उस Bus में बैठे लोगो को, उस बॉस में बैठे वह छोटे से बच्चा को, जिसे जिंदगी के बारे में कुछ भी नही मालूम, कैसे वे सारे लोग अपने मौत के तरफ बढ़ रहे है।" यह बातें सुनते ही विजय चीखने लगता है। उसे बॉस को रोकने के लिए कहता है। वह कहने लगता है, "रोको उस Bus को। वे लोग मर जायेंगे। वह मासूम बच्चा मर जाएगा। मुझे माफ़ कर दो।" विजय चीख चीख कर यह बातें कहता रहता है लेकिन वह Bus नहीं रुकता और अंत में वह मौत का पुल टूटने लगता है और वह Bus खाई में गिर जाता है। कुछ पल के लिए सब शांत हो जाता है। एक अजीब सा सन्नाटा रहता है। वह मौत का रक्षक रस्सी को हाथ मे लेकर विजय को पुकारता है। विजय उसके सामने जाने लगता है। नयन उसे माना करता है लेकिन वह कुछ नही सुनता। विजय मौत के रक्षक से रस्सी लेकर अपने गले मे बांध लेता है। नयन उसे माना करता है लेकिन वह नहीं सुनता और कहता है, "नयन, मैने बहुत पाप कर्म किए है। अपने फायदे के लिए बहुत लोगों के जिंदगी को तबाह किया है। तुमने मुझे कई बार मना भी किया था। लेकिन में तुम्हारे बातों पर ध्यान नही देता था। क्योंकि के मैं समझता था की ईमानदारी आज के जमाने मे बेमानी हैं। जिसके पास ताकत है वही राजा है। लेकिन मैं गलत था नयन। मैं तुम्हे मूर्ख समझता था लेकिन असल में मूर्ख तो मैं था। भगवान ने आदमी को जानवरों से अलग बनाया लेकिन हम लोग जानवर से आदमी नही बन पाए। अपने किए गए पापो का अहसास होने के बाद में कमजोर पर सुका हुँ नयन। तुम्हारे बातों को में समझ रहा हुं लेकिन उसे मानने की ताकत मेरे अंदर नही है। जिस तरह में तुम्हारे अच्छे बातो को नही मानता था, आज में वैसे ही मूझे मरने से माना करने वाले बातो को भी में मान नही पा रहा हु। तुम जाओ नयन। मैंने जिंदगी में कभी अच्छे कर्म नही किए इसीलिए Judgment Day के दिन में मरने वाला हु। लेकिन तुमने सारी जिंदगी सिर्फ अच्छे कर्म किए शायद तुम बस जाओ। जाओ नयन, अपने माँ के पास जाओ। हो सके तो मुझ जैसे पापी को माफ कर देना।" यह कहकर विजय फाँसी के फंदे में लटक गया और उसका आत्मा उस Bus में बैठ कर चला गया।
विजय यह सुनते ही चारो तरफ देखता है। उसे चारो तरफ अपने किए गए पाप नजर आता है। उसे लोगों का नजर आता है। उसे लोगों की चीखें सुनाई देता है। वह चिल्लाने लगता है। नयन उसे समझाने की कोशिश करता है लेकिन नयन के बाते उसके कानों तक नही पहुँचता क्योके उसके कानों में तो सिर्फ लोगों के चीखे पहुँच रहा था। वह मौत का रखवाला एक रस्सी के सामने जाता है। जो विजय के दृष्टि में पुल से बंधा हुआ था और नयन के दृष्टि में एक पेड़ से बंधा हुआ था। नयन रस्सी को देख सब समझ जाता है। विजय भी उस रस्सी को देखता है। तभी मौत का सिपाही Bus की तरफ देखकर कहता है, "देखों विजय, उस Bus में बैठे लोगो को, उस बॉस में बैठे वह छोटे से बच्चा को, जिसे जिंदगी के बारे में कुछ भी नही मालूम, कैसे वे सारे लोग अपने मौत के तरफ बढ़ रहे है।" यह बातें सुनते ही विजय चीखने लगता है। उसे बॉस को रोकने के लिए कहता है। वह कहने लगता है, "रोको उस Bus को। वे लोग मर जायेंगे। वह मासूम बच्चा मर जाएगा। मुझे माफ़ कर दो।" विजय चीख चीख कर यह बातें कहता रहता है लेकिन वह Bus नहीं रुकता और अंत में वह मौत का पुल टूटने लगता है और वह Bus खाई में गिर जाता है। कुछ पल के लिए सब शांत हो जाता है। एक अजीब सा सन्नाटा रहता है। वह मौत का रक्षक रस्सी को हाथ मे लेकर विजय को पुकारता है। विजय उसके सामने जाने लगता है। नयन उसे माना करता है लेकिन वह कुछ नही सुनता। विजय मौत के रक्षक से रस्सी लेकर अपने गले मे बांध लेता है। नयन उसे माना करता है लेकिन वह नहीं सुनता और कहता है, "नयन, मैने बहुत पाप कर्म किए है। अपने फायदे के लिए बहुत लोगों के जिंदगी को तबाह किया है। तुमने मुझे कई बार मना भी किया था। लेकिन में तुम्हारे बातों पर ध्यान नही देता था। क्योंकि के मैं समझता था की ईमानदारी आज के जमाने मे बेमानी हैं। जिसके पास ताकत है वही राजा है। लेकिन मैं गलत था नयन। मैं तुम्हे मूर्ख समझता था लेकिन असल में मूर्ख तो मैं था। भगवान ने आदमी को जानवरों से अलग बनाया लेकिन हम लोग जानवर से आदमी नही बन पाए। अपने किए गए पापो का अहसास होने के बाद में कमजोर पर सुका हुँ नयन। तुम्हारे बातों को में समझ रहा हुं लेकिन उसे मानने की ताकत मेरे अंदर नही है। जिस तरह में तुम्हारे अच्छे बातो को नही मानता था, आज में वैसे ही मूझे मरने से माना करने वाले बातो को भी में मान नही पा रहा हु। तुम जाओ नयन। मैंने जिंदगी में कभी अच्छे कर्म नही किए इसीलिए Judgment Day के दिन में मरने वाला हु। लेकिन तुमने सारी जिंदगी सिर्फ अच्छे कर्म किए शायद तुम बस जाओ। जाओ नयन, अपने माँ के पास जाओ। हो सके तो मुझ जैसे पापी को माफ कर देना।" यह कहकर विजय फाँसी के फंदे में लटक गया और उसका आत्मा उस Bus में बैठ कर चला गया।
आगे जारी रहेगा...