दूसरा चोर | Comedy Story | Short Story in Hindi
रात का समय था। घर के सब सदस्य सो रहे थे। सब मतलब पति, पत्नी और बेटा। करिवान 3 बज रहे थे। चारों तरफ सन्नाटा था। ऐसे में घर में एक चोर घुसा।
वह चोर धीरे धीरे घर के चारों तरफ घूमने लगा। वह तिजोरी को खोज रहा था और अंत मे उसे
तिजोरी मिल गया। लेकिन दो अलग अलग कमरे में। मतलब एक कमरे में पैसा और एक कमरे में
सोना। उसने पैसे को एक बैग में भड़ा और सोने को दूसरे बेग में और घर से निकलने लगा।
इतने में उसे बहुत प्यास लगा तो उसने freeze को खोला और उसे कई सारे branded शराब के bottle ले दिखा। बहुत ही रंगीन bottle ले थे। वह रंगीन bottle ले उसे बुला रहे थे। उसने सारे bottle
को beg में भड़ाना चाहा लेकिन beg में जगह नहीं था। इसलिए घर में खाली beg
खोजने लगा और उसे beg मिल गया। तब उसने सारे bottle को beg में भड़ा सिवाए एक bottle के। क्योंकि की उस bottle का ढक्कन खुला हुआ था और उसमें से निकलती हुई खुसबी ने उसे मदहोश
कर दिया था।
शराब के bottle को देख चोर ने सोचा bottle तो आधा खाली ही है तो पूरा खाली कर देते है। तब आराम से चले
जायेंगे। इसलिए चोर उस आधी bottle को लेकर खाने के table में बैठ गया। लेकिन वह चकना लेना भूल गया था। तो उसने फिर freeze
को खोला और खाने लायक जो जो था सब लेकर आराम से सोफ़े में बैठ
गया। क्योंकि सोफा बहुत मुलायम और आकर्षक था। चोर मजे से चकने के साथ शराब का आंनद
लेने लगा। वह बहुत खुश था जीवन मे पहली बार एक राजा की तरह शराब पीने का मौका जो
मिला था। पीते पीते उसने थोड़ा ज्यादा ही पी दिया और सोफ़े में मजे से सो गया।
सुबह हुआ। चोर मजे से अंगड़ाई लिया और उसे एक आवाज सुनाई पड़ी।
Police:
coffee लाओ।
चोर ने कहा, "मैं coffee नहीं पीता। एक काप चाई लओ और साथ मे biscuit
भी।
इतने में पीछे से उसके सर में जोड़ का जप्पर लगता है। वह पीछे
मुड़कर जैसे ही पुलिस को देखता है उसका नींद और दारू का नशा छूट जाता है। उसे होश आ
जाता है। वह कहता है, "माफ कर दो सर। अब से कभी चोरी नहीं करूंगा।"
तब police ने कहा, "ठीक है माफ कर दूंगा। लेकिन पहले यह बता तुम्हारा दूसरा साथी
कहाँ है।
चोर: मेरा दूसरा साथी? मेरा कोई दूसरा साथी नहीं है।
Police:
अच्छा। तो फिर चोरी का सामान कहाँ गया।
चोर ने सारो तरफ देखा घर के सभी लोग साथ मे एक हवालदार उसके
तरफ देख रहा था लेकिन उसे वह तीन beg कहीं नहीं दिखा। वह सर खुजाके बोलने लगा,
"अरे मेने यही तो रखे थे।" दारू
के बैग को freeze के
सामने रखा था, सोने
के बैग को Table के सामने और
पैसे के बैग को सोफ़े के सामने रखा था।
“मुझे सोफ़े के सामने कोई बैग नही दिखा”।
पत्नी ने यह कहा। दरअसल चोर को सबसे पहले पत्नी ने ही देखा था।
तब पुलिस ने कहा, "तुमने रखा था और तुम्हारे दोस्त ने सब लेकर चला गया।"
चोर: sir कसम खा कर कहता हूं मेरा कोई दोस्त नहीं है। मैं अकेले ही आया
था। हो सकता है कोई दूसरा चोर आया हो।
Police:
अच्छा अच्छा अच्छा। दूसरा चोर आया होगा। मुझे बकरा समझा है।
तू बेटा ठाणे चल।
Police
ने हवालदार को चोर को ले कर जाने के लिए कहा।
इसी बीच पति भी बोल पड़ा।
पति: सारा मेहनत का पैसा चोर लेकर भाग गया।
पत्नी: आप दुखी मत हो जो होना था हो गया।
इसी बीच बेटा भी बोल पड़ा, "हाँ पिताजी, जो बीत गयी सो बात गयी”।
“अम्बर के आनन को
देखो
कितने इसके तारे
टूटे
कितने इसके प्यारे
छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ
मिले
पर बोलो टूटे तारों
पर
कब अम्बर शोक मनाता
है
जो बीत गई सो बात गई"
--->(हरिवंशराय बच्चन जी की कविता)
पति: क्या।
बेटा: मतलब…आप दुखी मात हो पिताजी। आपको में दुखी नही देख सकता।
Police:
मैं अभी चलता हूं। कुछ खबर मिलने से आपको बोल दिया जाएगा।
यह बोलकर police चला गया और तीनों पति, पत्नी और बेटा सर पकड़कर सोफ़े में बैठ गया। तीनों के चहरे में दुख था पर दिल
मे बहुत खुशी भी था। लेकिन यह खुशी एक दूसरे से छुपा हुआ था। बेटा मन ही मन सोच रहा
था, "अच्छा
हुआ दूसरे चोर ने कम से कम शराब का बैग रखकर गया
वही दूसरी तरफ पति सोच रहा था,
अच्छा हुआ दूसरे चोर ने बीबी के घर से आये हुए जहवारतों को छोड़कर गया। उन जहवारतों के पैसों को business
में लगाऊंगा।
पत्नी भी अपने झूठे अशुयों को पोछते हुए सोच रही थी,
चलो कोई बात नहीं चोर ने जहवारतों को लेकर गया लेकिन पैसो को
तो छोड़कर गया। अब इन पैसों से जिह भड़के shopping करूँगी।"
यह लालश बहुत बुरीबला है। यह वह
चीज है जो इंसान और जानवर के बीच के फासले को कम कर देता है।
तिनों ने यहीं लालाच को मन में छुपाते हुए चेहरे में मुखोता
लगाकर एक दुसरे को देखा और मैंने कहानी यही समाप्त किया।
॥ समाप्त ॥