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मौत का द्वीप भाग 3 |
मौत का द्वीप भाग 3
यहां
साहिल थक कर बैठा हुआ रहता हैं। कुछ सैनिक डरे हुए थे तो कुछ के मन गुस्सा था।
विलियम को कुछ समझ मे नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। radio सिग्नल Boat में ही रह
गया था। अब समपर्क साधने का कोई रास्ता नहीं था। ब्रिटिश सैनिक उन्हें ढूंढते हुए
कब आएंगे उसका भी कोई निच्चयता नहीं था। सभी इस मौत के द्वीप में फंस चुके थे। इसी वजे से सभी मायूस थे। commander विलियम सभी
को हौसला रखने को कहता हैं। ताभि उन्हें बाहर से एक आवाज सुनाई देता हैं। सभी डर
जाते है। कमांडर विलियम दरवाजे में बने एक छोटे सुरंग से बाहर देखने की कोशिश करता
है। लेकिन जैसे ही वह बाहर देखता हैं डर से चोक जाता है। कमांडर को एसे डरते हुए
देख साहिल समझ जाता है कि बाहर जरूर कोई भयानक चीज हैं। सभी सैनिक बाहर खड़े उस
भयानक चीज को देख कर डर जाते हैं। साहिल भी उस चीज को देखने के लिए आगे बढ़ता हैं
और सुरंग में अपनी नजरे डालता हैं। साहिल को दिखाई देता हैं एक विशाल दैत्याकार
मगरमछ गुफा के बाहर उन लोगों का इंतज़ार कर रहा हैं। वह इतना विशाल था कि
एक नाव उसके मुंह मे समा जाए। साहिल ने सपने में भी इतने बड़े मगरमछ का कल्पंना
नहीं किया था। वह एक मगरमछ नहीं एक हैवान था। एक भूखा हैवान। साहिल डर से पीछे की
तरफ आ कर बेबश होकर बैठ जाता हैं। सभी के चेहरे में मायूसी था। Commander भी डरा हुआ था
लेकिन एक जिम्मेदारी के कारण उसे अपने डर पर काबू करना जरूरी था। इसीलिए कमांडर
विलियम कहता हैं,
" मायूस मत हो, डरो मत। भूलो मत की हम सिपाही हैं। उस मौत से
क्या डरना जो एक ना एक दिन आना हैं। अगर डरना हैं तो उस चीज से डरो जो तुम्हे
कमजोर बना रहा हैं। हम जानते हैं हमारे बंदूक के गोली से भी ज्यादा मगरमछ की सेना
है। हम ताकत से उनका मुकाबला नहीं कर सकते इसीलिए हमे अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करना
हैं।" यह कहकर
विलियम सिगरेट मुँह में रहता है और माचिस जलता हैं। उस माचिस की रोशनी सभी को चौका
देता हैं क्योंकि उस रोशनी में सभी को इंसानो को हड्डियां दिखाई देता है। सभी चौक
जाते हैं। ताभि दरवाजे में मगरमछ हमला कर देते हैं। दरवाजा धीरे धीरे कमजोर पड़ने
लगता हैं। सभी समझ जाते है कि भूखे मगरमछ को वह दरवाजा ज्यादा देर रोक नहीं
सकेंगे। ताभि एक सैनिक के हाथों से एक पत्थर दब जाता है और एक दरवाजा खुला जाता
हैं। सभी समझ जाते हैं कि शायद यह गुफा किसी मनुष्य ने बनाया होगा। सभी उस दरवाजे
से अंदर घुसता है और दरवाजे को बन कर देता हैं। सारो तरफ अंधेरा था। commander माचिस जलता
हैं और एक मसाला दिखाए देता हैं। सभी सैनिक वहां रखे मसालों में आग जलाते हैं और
सारों तरफ रोशनी हो जाता हैं। commander
कहता है, "यह
सुरंग जरूर किसी मनुष्य ने बनाया होगा। हो सकता है यहाँ पहले लोग रहते हो। हमे
यहां से बाहर निकलने का रास्ता ढूढ़ना होगा।
विकास
सैनिकों के साथ पेड़ों के ऊपर था और नीच्चे थे भूखे मगरमछ। विकास जानता था कि वे
लोग ऐसे ही पेड़ों में ज्यादा समय रुक नहीं सकते। उन्हें कोई ना कोई रास्ता निकालना
ही होगा। विकास सैनिकों को कहता हैं,
"हमें पेड़ो के जरिये आगे बढ़ना होगा। ऐसे एक जगह रूकने से कोई
फायदा नहीं। आगे बढ़ते रहने से शायद कोई रास्ता दिख जाए।" सभी सैनिक विकास
के बात से सहमत होते हैं। वे लोग एक पेड़ से दूसरे पेड़ो तक जाने लगते हैं। मगरमछ भी
उनके पीछे पीछे जाते हैं। विकास को दूरसे एक गुफा दिखाई देता हैं। वह दूरबीन से गुफा
की तरफ देखता हैं। उस सुरंग के दोनों तरफ शेर का बड़ा मूर्ति था। वह सुरंग में एक
दरवाजा था जो बंद था। उस दरवाजे में एक लोहे का जंजीर था। विकास सोचता है, "शायद उस
जंजीर से दरवाजे को खोला जा सकता है।"
विकास सभी को कहता हैं,
विकास:
हमें उस दरवाजे तक जाना होगा। वह गुफा शायद किसी मनुष्य ने बनाया हो। हो सकता है
उहाँ कोई रहता हो।
सैनिक
1: लेकिन
जाएंगे कैसे। आगे कोई पेड़ नहीं है जिसके सहारे हम उहाँ तक पहुँचे। जाने से दौड़कर
जाना होगा।
सैनिक
2: दौड़कर
जाएंगे कैसे? नीचे
तो मगरमछ की सेना हैं।
सैनिक
3: नहीं
हमे यही रहना चाहिए।
विकास:
यहां रहोगे तो मारे जाओगे। यह भूखे मगरमछ यहां तक पहुँचने का कोई न कोई रास्ता
जरूर निकालेगा। इससे अच्छा हैं कि हम रिस्क ले और उहाँ तक जाए।
सैनिक
3: तुम्हे
जाना है तो तुम जाओ। हम नहीं जाएंगे। यह मगरमछ पेड़ो में नहीं चढ़ सकते।
विकास:
मगरमछ पेड़ो में नहीं चढ़ सकता,
यह बात मुझे भी मालूम हैं । लेकिन यह मात भूलो की कुछ पेड़ जमीन
से सटा हुआ हैं। हमें रिस्क लेना ही होगा।
कोई
भी सैनिक जाने को तैय्यार नहीं था। ताभि अचानक सभी को पत्तों के बीच से एक मगरमछ
आते हुए दिखता हैं। सभी उसके ऊपर गोलियां चलता हैं। लेकिन पेड़ो में केवल एक मगरमछ
नहीं था बल्कि एक फ़ौज था। सभी समझ जाते है कि पेड़ो में रहना अब खतरे से खाली नहीं
हैं। उन्हें विकास की बात मान नी ही होगी। इसलिए सब गोलियां चलाते हुए सुरंग तक
दौड़ते हैं। उनके सारो तरफ भूखे मगरमछ थे। कई सैनिक शिकार बन जाता हैं। विकास और
कुछ सैनिक दरवाजे तक पहुँच जाते हैं। जंजीर को खीस कर दरवाजा खोलता है। दरवाजा बंद
करते समय विकास को एक सिपाही दौड़ते हुए आते दिखता है। विकास दरवाजा बंद करने के
लिए माना करता है। विकास उस सिपाही को तेज़ी से दौड़ने कहता है लेकिन जैसे ही वह
दरवाजे के नजदीक पहुँचता है ताभि वह दैत्याकार मगरमछ उस सिपाही को
अपने मुँह में धर लेता हैं। सभी उस मगरमछ को देख चौक जाते हैं। किसी को भी अपने
आँखों पर विश्वास नहीं होता। सभी इतने डर जाते हैं कि उन्हें डर का एहसास तक नहीं
होता। जैसे ही वह दैत्याकार मगरमछ उन लोगों को देखता है सभी को होश
आ जाता है और सभी दरवाजा बन करने लगते है लेकिन दरवाजा बहुत मजबूत था। सभी सैनिक
दरवाजे को खिंचते है। वह हैवान मगरमछ तेज़ी से आगे बढ़ता है। जैसे ही वह मगरमछ
दरवाजे के नजदीक पहुँचता है। दरवाजा बंद हो जाता हैं। सभी डर से काँपने लगते हैं।
किसी को अपने आँखों पर विश्वास नहीं होता। 10
में से केवल अब 5
ही बचे थे। विकास अपने डर को नियंत्रण करने की कोशिश करता है और कहता है, "डरो मत। डर
ने से कुछ नहीं होगा। हम यहाँ सुरक्षित हैं। बस हमें इस मौत के द्वीप से बाहर निकलने के लिए रास्ता ढूंढना हैं। यह
सुरंग हमें बचने का रास्ता दिखायेगा...
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मौत का द्वीप