किसी के बारे मे लिखना आसान है, पढ़ना भी आसान है लैकिन मुस्किल है उस्से कुछ सिख कर अपने जीवन मे लागु करना। इस घरती की रक्षा के लिए न जाने कितनो ने कितना कुछ त्याग किया। लेकिन हम अपने अहंकार और लालाश को भी त्याग नही सकते, एकजुट भी नहीं हो साकते। इतिहास के पन्नो को अगर देखा जाय तो देखेंगे की इतिहास हमेसा अपने आपको दोहराता ही आया है। कही एसा ना हो कि हम अपने अहंकार और लालाश मे इतने खो जाय की हमारे आने वाले पीढ़ियां गुलामी के बेरियों मे फिर से जक्र जाई। जिस तरह हम आज अपने वीरो और विद्वानो के ऊपर गर्भ करते है उसके विपरित हमारे पीढ़ियां हमपें थुके। मेरा मानना है कि, इतिहास का काम दोहराना है; हम और आप सब मिलकर सिर्फ इतिहास के पन्नो का चयन कर सकते है की कोन से पन्नो में हम ओर हमारे आनेवाली पीढ़ियां रहेंगे।