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एक नयी कहानी | Short Story in Hindi


एक नयी कहानी

कभी कभी हम सभी के जीवन में एक ऐसी घटना जरूर घटित होता है जिसका हम सभी को कभी विश्वास नहीं होता। अपने आप से यह सवाल पूछने पर हम विवष हो जाते है कि क्या वह घटना वास्तविक थी या काल्पनिक दुनिया में बहती हुई कोई धारा थी। ऐसा ही एक घटना के साथ में आप सभी को अवगत कराना चाहता हूँ।


एक नयी कहानी | Short Story in Hindi


बात कुछ साल पहले की है। था दोस्त अजित के बर्वादी का दिन यानी शादी का...शुभ दिन, हम थे गवाह देने वाले जो गए थे बाराती बनकर और उतरे थे रात 12 बजे उस समय होने वाली भाभी और शादी के बाद हो गेई भाभी जी के घर। सोंचा था खाना-वाना खा कर बॉस में लेटकर जल्दी से घर चले जाएंगे। लेकिन मैंने जो सोचा था सबने भी वही सोचा था। इसीलिये अजित के पिताजी ने जब खाना खा लेने के लिए कहा तभी खाना खा लेना चाहिए था। इधर खाना देरी से शुरू किया और उधर बॉस चलना शुरू किया। मुझे बॉस चलने की आवाज भी सुनाई दी। मैंने अपने दोस्तों से कहाँ भी, "ये! बॉस चलने की आवाज आ रही है। कही बॉस चला तो नहीं गया।" लेकिन नशे में डुबै हुए मेरे दोस्त बिनोद ने कहा, "तुम बहत नशे में हो। Driver... driver तो हम लोगों के साथ बैठकर खाना खा रहा है, देखो।" मैंने driver की तरफ देखा, वह गुस्से से बिनोद की तरफ देख रहा था क्योंकि बिनोद ने नशे में अजित के जीजा को driver समझ लिया था। बॉस की आवाज फिर मेरे कानों में गूंज रहा था, जो धीरे धीरे रात के सन्नाटे में विलीन हो गया। अब कुछ उपाय नहीं, शादी खत्म होने के बाद ही घर जाने मिलेगा।

खाना खाने के बाद कुछ चबाने का मन किया तो थोड़ा बाहर निकला क्योंकि अगर अंदर चबाने वाला packet फाड़ता तो सब उसके ऊपर टूट पड़ते। इसलिए थोड़ा बाहर निकल कर चबाते हुए रात के सन्नाटे का आनन्द लेने लगा। लेकिन आनंद लेते लेते में थोड़ा से ज्यादा दूर चला गया। मुझे समझ मे नहीं आ रहा था कि मैं कहा खड़ा हूँ। इधर phone से network गायब था और मैरे दिमाग से होश। मैं परेशान हो गया। जिस सन्नाटे का आनंद ले रहा था अब वही सन्नाटा मुझे डरा रहा था। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं क्या करूँ लेकिन तभी मुझे दूर से दो औरत आते दिखा। मेरा मन नाचने लगा, मुझे लगा कि वह दो औरत जरूर शादी से आई होगी। में दौरकर दोनों के नजदीक गया लेकिन तभी, वह दो औरत, नहीं एक माँ और एक बेटी, जिसके कपड़े फटे हुए थे, सीर में चोट के निशान थे। मुझे देखकर डर गेई। दोनों के आखों से आशु निकल रहे थे, बेटी अपने फाटे हुए कपड़ो से अपने नंगे वदन को धकटने की असफल कोशिश कर रही थी। वे दोनों बहत डरे हुए थे। रात के सन्नाटे में दोनों के कलेजा टूटने की आवाज मेरे कानों में गूँज रहा था। तभी बेबस माँ मेंरे नजदीक आकर कहने लगी, "इस जंगल में मेरी बेटी का शिकार हो गया। तुम दोगे ना हमें इंसाफ।"

"ये जुगल" मेरे दोस्त मुझे पुकार रहे थे। मेरे दोस्त दौड़कर मेरे नजदीक आये लेकिन वह बेबस माँ और शिकार बेटी कही चली गयी। शायद जंगल में बने अपने घर को चली गयी। मैं अपने दोस्तों को इसके बारे में कहने ही वाला था कि तभी भाभी के भाई ने कहां, "चलो! यहाँ ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं। यहाँ माँ और बेटी की आत्माएं घूमती है।" "आत्मा"...अचानक मेरे मुँह से यह शब्द निकल पड़े। तब उसने कहाँ, "हाँ..हाँ आत्मा! हालांकि मेने कभी देखा नहीं। लेकिन इस गांव के कुछ लोगो ने देखा है।" तब मूझे जानने की इच्छा हुई कि क्या हुआ था उन दोनों के साथ। तब उसने कहाँ, "ये बहुत पुरानी और लंबी कहानी है। यह सब जानकर करोगे क्या? बेकार में अपने मन को तकलीफ होगा। shortcut मे समझ लो एक लड़की का रेप करके कुछ लोगों ने यहाँ मारके फेक दिया। बाद में उसकी माँ ने बहुत कोशिश किया उन लोगों को सजा देने के लिए लेकिन कही कुछ नहीं हुआ और अंत मे वह भी बेटी के पास चली गयी। लेकिन मरते समय उसने अपने घर कै दीवारों पर बड़े बड़े अक्षरों से लिख दिया था की.....क्या लिखा था......(डर के मारे भुल ही गया हुँ)...अब चलो यहाँ से"

हम लोग धीरे धीरे मंडप की ओर चलने लगे। लेकिन बार बार मेरे आँखों के सामने उन दोनों का चेहरा उमर कर आ रहा था। उस माँ की कहीं हुई बाते मेरे कानों में गूंज रहा था। जैसे कि यह कोई पुरानी कहानी ना होकर, कहीं न कहीं किसी ना किसी रुप घटने वाली एक नए कहानी हो।

शादी भी खत्म हो चुकी थी हम सब गाड़ी में बैठकर घर को निकले। मैं भी गाड़ी में बैठकर उन दोनों के बारे में सोचने लगा। उस माँ ने ठीक ही कहाँ था यह जंगल ही तो है। जहाँ इंसान नाम के जानवर घुमा करते है। जंगल के जानवर और इंसान नाम के जानवर में फर्क सिर्फ इतना है की जंगल के जानवर प्रकृति के बनाए हुए उसूलों पर चलते है और इंसान नाम के जानवरों के उसूल मौका देखकर बदलता रहता है जैसे सड़क में पड़ी हुई सुखी हड्डी को देखकर आवारा पागल कुत्ते का मन बदलता है। मैं यह सोच ही रहा था कि तभी मेरे आँखों ने उस बेबस माँ को खोज लिया था जो एक रस्सी से लटकी हुई थी, सामने उसकी बेटी की लाश पड़ी हुई थी और दीवारों पर बड़े बड़े अक्षरों से लिखा हुआ था, में यह जंगल छोड़कर अपने बेटी के पास जा रही हूं।"


The End

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