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लालच छीन लेता है सारी खुशियां kids story with moral


लालच छीन लेता है सारी खुशियां kids story with moral
लालच छीन लेता है सारी खुशियां kids story with moral

लालच छीन लेता है सारी खुशियां Kids story with moral


तामूलपुर गांव। असम का एक सुंदर गांव। कई सो साल पुरानी बात है। उस गांव में रहता था एक किसान नाम था उसका मोहन। मोहन बहुत ही मेहनती आदमी था। उसके दो गाये थे, जिसके जरिये वह हल चलाता था और साथ मे दो बकरियां भी थी। वह रोज सुबह खेत में जाता और शाम को घर लौटकर आता। वैसे तो दुसरो के लिए अनाज उगाने वाले किसान का हालात हमेशा बेहाल ही रहा हैं लेकिन उस समय के किसान का हालात आज के किसान जैसा बेहाल नहीं था। उस समय लोगों के जरूरते भी कम थे और किसान भी बहुत खुश रहते थे। मोहन भी अपने जीवन से खुश था। उसे किसी प्रकार का लालच नहीं था। लेकिन लालच ऐसी चीज है जो किसी न किसी जरिये लोगों के दिमाग में घुस जाता है और एक दिन यही लालच छीन लेता है लोगों की सारि खुशियां

एक दिन मोहन का एक दोस्त कई साल बात अपने गाँव आता है मोहन को मालूम चलता है की उसका दोस्त अभी बहुत बड़ा आदमी बन छुका है। गांव में जब था तब वह बंदर को नचाता था लेकिन उसके इस हुनर को गांव के लोग पसन्द नहीं करते थे इसलिए वह गांव को कुछ दिन के लिए छोड़कर शहर गया था और वहां रजा को उसका हुनर पसंद गया। वह राज के दरबार मे बंदर को नचा के राजा का मनोरंजन करता है। यह जानकर मोहन अपने दोस्त से मिलने गया लेकिन उसके दोस्त के पास बात करने के लिए समय ही नही था। उसका दोस्त पूरा बदल गया था। वह अपने कंधों में बंदर को लेकर घूम रहा था। मोहन अपने दोस्त के साथ बात कर ही नहीं पाया। वह मायूस होकर घर लौट आया और साथ में लाया एक लालच को। उसके मन मे चिंता सता रहा था। वह सोच रहा था कि वह दिन भर मेहनत करके कुछ ही पैसे कमा पता है लेकिन उसका दोस्त सिर्फ बंदर को नचा के राज दरबार मे काम मिल गया। मुझे भी कुछ करना होगा। यह सोचते हुए मोहन सो जाता है। रात में उसे एक सपना आता है। वह सपने में देखता है कि वह अपने कंधों में शेर को लेकर घूम रहा है और उससे बंदर नाच नचा रहा है। उसे देख सब तालियां बजा रहे है। राजा भी बहुत खुश था और खुशी में रजा उसे अपनी सुंदर बेटी और एक राज्य का राजा बना देता है। यह सपना देखकर मोहन खुशी में नाचने लगा। उसके मन मे लालच एक जगह बना चुका था

मोहन अपने सपने को सच करने के लिए दूसरे दिन शेर पकड़े गया। साथ मे ले गया एक बकरी। वह एक पेड़ में बकरी को बांध दिया और सामने एक जाल रख दिया। जैसे ही शेर बकरी को खायेगा वह जाल में फस जाएगा। यह सोचकर मोहन झूमते हुए अपने घर जाकर सो गया। दूसरे दिन वह अपने शिकार को देखने के लिए आया लेकिन उसने देखा कि जाल में शेर नहीं एक भेड़िया फसा है और बकरी के जगा उसका हड्डियां है। मोहन गुस्से में उस भेड़िये को पिट पिट कर मार डालता है और इस बार बकरी के जगह उस मरे हुए भेड़िये को बांध देता है। दूसरे दिन मोहन एक दम सुबह अपने शिकार को देखने जाता है। लेकिन इस बार मोहन अपने शिकार को देख अजीब ओ गरीब तरीके से नाचने लगता है क्योंकि जाल में इस बार एक शेर फसा था। लेकिन मोहन को समझ नहीं आता कि वह शेर को काबू कैसे करे। इसीलिए मोहन एक वैद्य के पास जाता है और गाय को बुखार हुआ कहकर वैद्य को अपने साथ ले आता है। लेकिन जब वैद्य गाय के जगह शेर को देखता है तो उसके माथे के बाल खड़े हो जाता है वह डर से काँपने लगता है। डर के मारे वह भागने की कोशिश करता ही है की तभी मोहन उसे कहता है, "आप डरिये मत। आप इस शेर को बेहोश कर दीजिए में आपको यह दस सोने के मोहरे दे दूंगा और जब में शेर को बंदर नाच नचाकर राजा की बेटी से शादी करके एक राज्य का रजा बन जाऊंगा तब में आपको राज चिकित्सक बना दूंगा" मोहन की बातें सुनकर वैद्य को कुछ समझ नहीं आया लेकिन मोहन के हाथों में दस सोने मोहरे देख वैद्य ने जंगली जड़ीबूटी के मदद से शेर को बेहोश करने वाली दवा बना दिया। मोहन ने दवा लेकर वैद्य को दस सोने के मोहरे दे दिये। वैद्य मोहरे लेकर चला गया। अब मोहन घर में रखे हुए दूसरी बकरी को मारकर उस में बेहोसी की दवा मिला दिया और शेर को खाने के लिए दे दिया। बकरी खा कर शेर बेहोश हो गया। मोहन जैसे तैसे शेर को चुपके से उठाकर अपने घर लाया और गाय के साथ बांध दिया। मोहन अपने लालच में भूल ही गया था कि शेर को जब होश आएगा तब गाये का क्या होगा? वह तो बस अपने लालच के बारे में सोच रहा था और जा कर सो गया। उसे रात को फिर से सपना आया। इस बार सपनें में उसने देखा कि राजा उसका एक पैर दवा रहा है और राजा की बेटी उसका दूसरा पैर दवा रही हैं। उसका दोस्त उसका एक हाथ दवा रहा है और उसका दूसरा हाथ शेर के माथे के ऊपर है। सपना देखते देखते सुबह हो गया और वह हँसते हँसते शेर को बंदर नाच नचाने गया। लेकिन वहां पहुँचकर उसका खुद का नाच निकल गया। शेर तबेले में नहीं था और गाय के जगह हड्डियां परा हुआ था। उसे अब होश छुका था। उसका सब चला गया। दो बकरी, दो गाये और दस सोने के मोहरे सब चला गया। अपने दोस्त को देखकर उसके जैसा बनने के चक्कर मे उसने अपना सारा कुछ खो दिया। वह समझ छुका था कि लालच छीन लेता है सारी खुशियां  

कहानी से सीख (Moral of the Story)


इस Kids story से कई बातें सीखने मिलता है। पहला, दुसरो को देख कर सपनों में नहीं खो जाना चाहिए मोहन का दोस्त जब गांव में था तब वह बंदर को नचाकर पैसे कमा नहीं पता था और उसके इस हुनर को गांव के लोग पसन्द भी नहीं करते थे लेकिन राजा को उसका हुनर पसंद गया और मोहन के दोस्त का जिंदगी बदल गया। मोहन के दोस्त की जिंदगी एक दिन में नहीं बदला। अपने हुनर को सही मुकाम देने के लिए उसने बहुत मेहनत किया तब जाकर उसे एक मुकाम हासिल हुआ। लेकिन मोहन एक दिन में ही अपने दोस्त जैसा बनना चाहता था। लालच अंधा बन चुका था। इच्छे अच्छा अगर मोहन लालच ना करके खेत मे ही ध्यान देता तो शायद उसे सब गवाना नही पड़ता और उसका जीवन और अच्छा हो जाता।

इस कहानी से दूसरी सीख यह मिलती है कि लालच कभी नही करनी चाहिए क्योंकि लालच लोगों की सारी खुशियां छीन लेता है जो है उसी में खुश रहना चाहिए और हमेशा मेहनत करना चाहिए। दुसरो को देख कर अच्छा मनुष्य बनने की कोशिश करना चाहिए लेकिन लालच के चक्कर में अपने खुशियों को खत्म नहीं करना चाहिए। यही इस Kids story का मूल उद्देश्य हैं