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The Judgment Day । मौत की नदी |
...जीनु की बातें सुनकर विजय और पुनीत "जीनु को कुछ होने नहीं देगा” कहता हैं। लेकिन जीनु जानती हैं कि कोई कुछ नही कर सकता। जीनु आसमान में उंगली दिखा कर कहती हैं,"देखो वह बच्चे मैरे लिए ही रुके हुए थे। मैने उनको माँ बाप से अलग किया था। आज मैरे कर्मो ने मुझे अपने माँ बाप से अलग कर दिया। वह बच्चे मुझे बुला रहे हैं। मुझे जाना होगा।" जीनु बचों को जाते हुए देखती हैं। जीनु चिल्लाती हैं,
"वह बचें अकेले ही जा रहे है। रुको मैंरे लिए। तुमलोगों मुझे माफ़ किए बिना नहीं जा सकते। रुको... रुको।" एक तेज हवा का झोंका आता हैं और जीनु के आत्मा को अपने साथ ले जता हैं। तीनो पत्थर की तरह सब चुपचाप देखता रहते है।
किसी को अपनी आँखों पर यक़ीन नहीं होता हैं। सबको एक सपना जैसा लगा। लेकिन हक़ीक़त सपने से ज्यादा तकलीफ दायक है। जीनु की लाश देखकर पुनीत कहने लगा, "हमें जितनी जल्दी हो सके यहाँ से भागना होगा। वह आदमी कोई साधारण आदमी नहीं हैं। बहुत Planining
करके अपना काम कर रहा हैं। इस साधारण रात को ख़ौफ़ की रात बना रहा हैं।"
"यह कोई साधारण रात नही हैं। यह ख़ौफ़ की रात हैं।"
विजय ने पुनीत को गुस्से में कहा। विजय के चेहरे में एक अजीब सा डर था। मौत से नहीं डरने वाला विजय भी आज ख़ौफ़ में था। यही ख़ौफ़ विजय के बातो में भी दिख रहा था। विजय कहता हैं,
"वह आदमी नहीं, पिशास हैं। जरूर
उसके अंदर काली शक्तियां हैं।" पुनीत को विजय की बातें हैरान कर देता हैं। कभी भूत पिशाच को ना मानने वाला आदमी आज कालि शक्तियों की बात कर रहा हैं। वह सोचता है, “जरुर उस के ऊपर नयन का असर
हुआ होगा।” लेकिन पुनीत इतनी आसानी से इन साब चीजो पर विश्वास करने वाला आदमी नहीं था। पुनीत और विजय के बीच बातें बढ़ जाता हैं। पुनीत नयन का मजाक उड़ाने लगता
है, लेकिन नयन कुछ नही बोलता। विजय
को पुनीत कि बातें बर्दाश्त नही
होता और पुनीत के मुह मे एक मुक्का जड़ देता हैं। बात हाथापाई में आ जाता हैं। तभी नयन दोनों को रोक कर बोलने लगा,
"कैसे दोस्त हो तुम लोग। यहाँ जीनु मार चुकी हैं और तुम लोग आपास में जग्राह कर रहे हों। जग्राह करने से अच्छा यहाँ से जाए कैसे उस बारे में सोचों। तुम लोगों को तो यह भी नही मालूम कि हम लोग खड़े कहा पे हैं। एक बार नजरें घुमा कर देखो।"
नयन के बातें सुन विजय और पुनीत चारों ओर देखते हैं। उन्हें अपनी आँखों पर यक़ीन नही होता। वह लोग उसी जगह पर थे जहाँ उस अंजान खौफ
के रखवाला आदमी ने उन लोगो को छोड़ा था। सभी के मन में एक ही सवाल, “यह कैसे हो सकता हैं।” नयन ओर एक अजीब चीज की ओर गौर करता हैं। पहले पांच रास्ते थे, फिर चार रास्ते हुए और अब तीन रास्ते। सब एक दूसरे की तरफ देखते हैं। तभी उन्हें एक आवाज सुनाई पड़ता हैं। सब डर जाते हैं। क्योंकि जब जीनु साथ में थी तब भी उन्हें एक आवाज सुनाई पड़ा था और अब फिर से एक आवाज। अब यह आवाज किसको अपने साथ ले जाए यह किसी को नहीं मालुम था। वह लोग यह सोच ही रहे थे कि उनलोगों को जंगल के तरफ कोई चीज आते हुए दिखा। उनलोगों ने गौर से उस चीज को देखने की कोशिश किया। जब वह चीज सामने आया उनलोगों की आँखे फटी की फटी रह गयी, क्योंकि वह चीज शेर था।
शेर को देखते ही सब डर के मारे वहां से भागने लगे। चारों
तेजी से दौड़ने लगे। विजय ने पीछे मुड़ कर देखा तो नयन, पुनीत और उस शेर को देखा। नयन और पुनीत उसके पीछे पीछे भाग रहे थे। विजय को आगे एक छोटा
सा नदी दिखा, वह वहां रुक गया। पीछे मुड़ कर देखा तो उसको नयन तो दिखा लेकिन पुनीत और वह शेर नहीं दिखा। विजय और नयन दोनों हैरान हो जाते हैं। पुनीत तो उसके पीछे था अचानक कहां गायब हो गया। लेकिन उन दोनों को मालूम ही नहीं कि उन्हें भ्रम हुआ था। पुनीत उन दोनों के पीछे था ही नही। क्योंकि की पुनीत को भी भ्रम हुआ और वह दूसरे रास्ते चला गया था। उसने जब पीछे मुड़ कर देखा तो उसे भी नयन, विजय और वह शेर दिखा था। पुनीत पूरी तेज़ी से दौड़ रहा था। लेकिन अचानक एक नदी दिखा जहा कुछ कपड़े पड़े हुए थे। वह रुक गया। उसे
मालुम नहीं था कि यह कोई साधारण नदीं नहं है यह मौत की नदी हैं। उसने पीछे मुड़ कर देखा तो शेर नही था लेकिन नयन और और पुनीत था। वह
दोनों उस मौत
की नदी की तरफ ध्यान से देख रहे थे। पुनीत भी नदी कि तरफ ध्यान से देखने लगा। उसे नदी में कुछ हलचल दिखा। वह सतर्क हो गया। लेकिन तभी उसने देखा कि कुछ लड़कियां पानी से
निकर कर नाहा रही हैं। वह लड़किया बहुत ही सुंदर थी। सुंदर लड़कियां पुनीत की कमज़ोरी हैं। उन लड़कियों को देख वह नदी के ओर करीब जाने लगा। उसने अपने दोस्तों को कहा,
"देख बे विजय, यहां कोई भुत प्रेत नही हैं। यहां तो सुंदर सुंदर नंगी लड़किया हैं।" यह कह कर जब पुनीत पीछे मुड़ता हैं तब उसे कोई भी नही दिखता। वह हैरान हो जाता हैं। वह उन दोनों को चारों तरफ देखता हैं। लेकिन वह दोनों कही नही दिखाई देता। तभी उसे उन लड़कियों की आवाजें सुनाई पड़ता हैं। मौत की
नदी की नहाती मृत सुन्दर लड़कियों पुनीत को पुकार रही थीं। आवाज
बहुत कामुक थी, पुनीत सब कुछ भूल गया। पुनीत उन मृत सौंदर्य
लड़कियों की तरफ धीरे धीरे चला जाता हैं। पुनीत भी उनलोगों के साथ नहाने लगता हैं। उसी वक्त पुनीत को एक लड़की नजर में आती हैं, जो पुनीत की तरफ पीठ दे कर नदी में खड़ी थी। उसका बदन बहुत ही सुंदर था। पुनीत धीरे धीरे उस लड़की के नजदीक जाता हैं। पुनीत उस लड़की को बुलाता हैं,
"क्या हुआ? क्यों अकेली हो? मेरे बाहों
में आ जाओ।"
यह सुनकर वह लड़की धीरे से पुनीत की तरफ मुड़ती हैं। उसे देख पुनीत के होश उड़ जाता हैं। क्योंकि वह वही लड़की थी जिसे पुनीत ने प्यार के जाल में फसा कर जिंदगी बरवात कर दिया। जिसकी वाजे से उस लड़की ने खुदखुशी की थी। पुनीत डर के मारे पीछे आता जाता हैं। वह मृत सुन्दर लड़की उसे कहती हैं,
"आओ पुनीत मुझे अपनी बाहों में समा लो। क्या हुआ पुनीत? तुम इतना डर क्यों रहे हो? डरो मत। तुम्हारे लिए मैंने अपने घर वार छोड़ा। अपना सबकुछ तुम्हे दे दिया। मेरे पिताजी का Heart Atack से मौत हो गया। तुमने ऐसा क्यों किया पुनीत। क्यों मेरा इस्तेमाल किया।" यह कह कर वह लड़की रोने लगती हैं। तभी पुनीत को नदी के अंदर से कोई चीज तेज़ी से आता हुआ दिखाई पड़ता हैं। वह चीज जैसे ही पुनीत के नजदीक पहुचता हैं, एक विशाल हैवान का रूप लेकर नदी से निकलता हैं। उसे देख पुनीत ख़ौफ़ से चिह्र जाता हैं। वह वहां से भागने लगता हैं। वह शरीर के पूरा ताकत से दौड़ता हैं। वह कही भी क्यों ना जाए उसे हर जगह वह लड़की ही दिखाई पड़ता हैं। उसे हर जगह अपने किए गए पाप दिखाई पड़ता है। वह सारे
पाप जो उसने किए थे, चाहे वहं किसी को पैसो के खातिर जान से मारना हो, चाहे वह अपने मुनाफे के लिए किसी का ज़मीन हथियाना हो, हर वह पाप कर्म जो उसने किए थे, उसे सब दिखाई पड़ता हैं। वह बुरी तरीके से डर जाता हैं। उसके आखो से आँसू
निकलने लगता हैं। तभी उसके सामने वह अनजान
खौफ का रखवाला आदमी आ जाता हैं। पुनीत चोक जाता हैं। लेकिन वह रुकता नही। वह दौड़ते जाता हैं, लेकिन वह खौफ का रखवाला उसके नजर से हटता नहीं हैं। वह पुनीत को कहता हैं,
"तुम लोगों के नजरों से तो बच सकते हों लेकिन भगवान के नजरों से नहीं। अपने स्वार्थ के लिए तुमने बहुत पाप कर्म किए। आज उस के फैसले का धड़ी आया है। भाग कर फ़ायदा नही हैं। तुमने बहुत फल भोग किये हो, आज अपने कुकर्म का भी फल भोग कर लो।"
उसके बातें सुनकर पुनीत ओर ज्यादा
डर जाता हैं। वह कहने लगता हैं,
"सिर्फ मुझे ही ऐसा सजा क्यों दे रहे हो। कितने लोग कितने पाप करते हैं। उन्हें क्यों इसे सजा नही देते हो।"
पुनीत की बाते सुन खौफ
का रखवाला हँसते हुए कहता हैं,
"सजा सबको मिलता हैं। लेकिन अलग अलग तरीके से। तुम तो क़िस्मत वाले जो तुम्हे मालूम चल रहा हैं कि तुम्हे किस चीज की सजा मिल रहा हैं। सजा हर किसीको मिलता हैं। कोई अपने कर्मो से बच नही सकता। किसी को देरी से मिलता हैं तो किसीको जल्दी,
लेकिन मिलता उचित समय पर ही हैं। और वह समय, समय बनाने वाला निर्धारण करता हैं। दौड़
कर फायदा नहीं है पुनीत। इस ख़ौफ़ की रात में तुम मारने वाले हो।"
पुनीत दौड़ते दौड़ते फिर उसी मौत
की नदी के सामने आ जाता हैं। उसे कहीं रास्ता नही दिखता। वह नदी में चल कर उस पार जाने का कोशिस करता हैं। नदी ज्यादा गहरा नही था। वह तेज़ी से चलनें की कोशिस कर रहा था। तभी उसे पिछे से एक आवाज सुनाई देती हैं। वह मृत सुन्दर लड़की पुनीत को बुला रही थी। पुनीत ने अपने कान बंद कर लिया। लेकिन वह आवाज बंद नहीँ हुआ। पुनीत के आखों से आँसू निकल रहे थे। पुनीत थक चुका था। उसके अन्दर ओर लड़ने का क्षमता नही बचा था। जैसे ही वह नदी के पार पहुँचा वह एक पेड़ के निछे बैठ गया। उसे मौत
की नदी में वह मृत सौंदर्य
लड़की दिख रहा था। वह पुनीत को बुला रही थी। पुनीत बेबस हो सुका था। पुनीत अपनी गलतियों का एहसास
होने लगा था। पुनीत अपने ही नजरों में गिरने लगा था। अंत में, उसने
खुद को सजा देने का फैसला किया। उसने अपने कपड़े फार कर अपने हाथ-पैर बांध लिया और रेंगते हुए उस मृत सौंदर्य लड़की के नजदीक जाने लगा। रेंगते रेंगते पुनीत कह रहा था, "मैंने तुम्हारे साथ बहुत अन्याय किया। मैंने अपने फ़ायदे के लिए नजाने कितने लोगों का जिंदगी बर्बाद कर दिया। लेकिन आज में अपने पापों का प्रायश्चित कर रहा हु।" यह कह कर पुनीत मौत की नदी में गिर जाता हैं। वह तड़पने लगता हैं और अंत में उस मृत सुन्दर लड़की के साथ अपने शरीर को छोड़ कर चला जाता हैं।
इधर नयन और विजय पुनीत को हर तरफ खोजता हैं, लेकिन पुनीत कही दिखाई नही देता। तब नयन यह सोच घबरा
जाता हैं कि कही पुनीत मर तो नहीं गया। वह दौड़ते हुए पहले वाले जगह में जाता हैं। विजय भी उसके पीछे पीछे दौड़ता हैं। वहां पहुंचकर
नयन की आँखों पर विश्वास नही होता। नयन पुनीत के लाश को जीनु के लाश के सामने पड़ा हुआ देखता हैं। वह बेबश हो कर गिर जाता हैं। विजय भी पहुँच जाता हैं। विजय के आँखों से आँसू निकलने लगता हैं। नयन भी उदास हो कर उन लोगों के तरफ देखता रहता हैं। लेकिन तभी नयन को कुछ अजीब लगता हैं। वह जीनु और पुनीत जिस पेड़ के नीचे पड़े हुए थे, उसे और उसके टहनी को गौर से देखने लगा। उसके आँखें फटी की फटी रह जाता
हैं....
आगे जारी रहेगा......
The Judgment Day Part 2
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