योगी । Emotional Story in Hindi |
योगी.....हर इंसान के जीवन का एक अतुत अंग है दुख. यही दुख मनुष्य के Happy Story को Emotional Story मे बदल देता हैं। यह कहानी भी ऐसे ही एक Emotional Story को बताता है।
योगी भाग ५ । Emotional Story in Hindi
योगी ने आस पास देखा तो एक तेम्पो नजर आया। योगी तेम्पो के करीब जाता हैं। वहां एक आदमी सोया हुआ है। योगी उस सोये हुए आदमी को जगह ने की कोशिस करता है। वह आदमी गुस्से से योगों की तरफ देखता है।
टेम्पो वाला: क्या हैं? क्यों रात को रो रहे हो?
योगी: जी मे रो नही रहा; आपको बुला रहा था।
टेम्पो वाला: क्यों बुलाया? तुम घटिया लोग साले, ना किसीको जीने देते हो और ना सोने देते हो। तुम मतलबी घमंडी लोग साले भाग यहा से।
उसकी बाते सुनकर योगी को गुस्सा तो आया था लेकिन वह कुछ बोला नही। क्योंकि ऐसे सुनसान क्षेत्र में वीरता दिखने का पुरस्कार उसको समशान घाट के तौर में मिल सकता हैं।उसका यह काहानी कल के News में Breaking News बन्द जायेंगा और लोग उसके Emotional Story को सुनकर दुख प्रकात करेंगें। इसीलिए वह चुप चाप वहां से निकाल कर बाइक के सामने आया। उसने मोबाइल लिकल कर देखा लेकिन नेटवर्क का नामो निशान नही था। उसको समाज नही आया की क्या किया जाए। तभी योगी ने आसमान की तरफ देखा। उसके चेहरे पड़ बारिश का बून्द गिरने लगा। वह मन ही मन कहने लगा,
"बस इसीका कमी था।"
बारिश से बचने के लिए वह उपाय ढुंढनें लगा। लेकिन कही कोई रास्ता नही। तभी पीछे से वह टेम्पो वाले ने आवाज लगाया,
"ऍह गंडो, ऑटो में आ जा। नही तो बारिश में भीख कर बुखार हो जाएगा।”
योगी उसका बाते सुनकर थोड़ा सतर्क हो गया। क्योंकि वह टेम्पो वाला किडनी छोड़ भी हो सकता है। इसलिए हमेशा अपने जेब मे रखा हुआ छोटा चाकू जो इसे वक्त के लिए रखता था उसे अपने हाथ में छुपा लिया और बाइक लेकर टेम्पो के नजदीक गया। टेम्पो वाले ने उसे कहा,"अंदर बेठ जाओ, नही तो भीग जाओगे?"
उसके बात को समर्थन करते हुए योगी अंदर तो बेठ गया लेकिन सतर्क होकर। क्योंकि हमला कभी भी हो सकता था। दोनो पीछे के सीट में बैठा था। टेम्पो वाला टेम्पो के दाएं तरफ और योगी टेम्पो के बाएं तरफ। टेम्पो वाला बिंदास पाओ फैलाकर बैठा हुआ था। योगी ने उस टेम्पो वाले और टेम्पो के हर एक चीज पर अपने। तिखा नजरे घुमाया। वह यह भी सोच रहा था अचानक यह आदमी इतना नरम दिल कैसे हो गया। उसने कई कारण खोज निकले। तभी टेम्पो वाले ने पूछा,
टेम्पो वाला: कहा जा रहे हो?
योगी: कोठाल कूची गाँव जा रहा था। मेरे एक दोस्त की शादी है। एक समान लाने गया था। लोटे समय अचानक बारिश दे दिया। मे शायद
गलत रास्ते आ गया। टेम्पो में बैठने देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
योगी की बातो पर टेम्पो वाला उतना ध्यान देता नही हैं। लेकिन योगी धोरे धोरे समझ जाता हैं की वह शायद गलत था; टेम्पोवाला आदमी शायद किडनी छोड़ नही हैं। योगी कहने लगता है,
"गाँव के लोगो की एक बात मुझे बहुत पसंद हैं। गाँव के लोग हमेशा मिलजोर कर रहते हैं। लोगो में एक अपना पन हैं। शहर में तो यह सब तो है ही नही।"
"तुम शहर में मिलजोर कर रहते हो?"
टेम्पोवाला ने पूछा।
योगी: कोशिश करता हु।
टेम्पोवाला: मेरा घंटा। खुद कोशिश कर रहे हो ओर समाज के ऊपर नसीहत झड़ रहे हो।
योगी: में नसीहत नही दे रहा। एक बात करने का
Formality हैं, उसीका पालन कर रहा हु। नही तो सिर्फ बातों से दुनिया जितने वाला आदमी में भी नही हुं। अपने मुझे बारिश से बचाकर टेम्पो में बैठने दिया इसका बहुत बहुत शुक्रिया। लेकिन इसका मतलब यह नही हैं की आप मुझे कुछ भी कहेंगे। मेरा एक आत्म स्वाभिमान है।
टेम्पोवाला: हर मनुष्य का आत्म स्वाभिमान रहता हैं, सड़क में घूम रहे आवारा कुत्ते का भी आत्म स्वाभिमान रहता हैं। हर जीव का आत्म स्वाभिमान...
योगी: वह आत्म स्वाभिमान नही अहंकार हैं। और में सिर्फ एक जीव नही हु; एक सोचने समझने वाला मनुष्य हु। अगर मुझे अपने टेम्पो में अपने दिल का भड़ास निकाल ने के लिए बिठाया है, तो माफ कीजियेगा में आपके टेम्पो में नही बेठ सकता।
योगी टेम्पो से निकाल ने लगता है।
टेम्पोवाला: बाहर जाओगे तो भीग जाओगे।
योगी: मुझे भीगना मंजूर है लेकिन आप जैसे दुखी आत्मा के साथ बैठना मंजूर नही।
टेम्पोवाला: मैं भी तुम्हारे जैसा ही था। लेकिन एक दिन सब खत्म हो गया। उसके बाट से में इस आदमी नामके लोभी जानवर से नफरत करता हु।
योगी: मनुष्य तो आप भी है। आपके साथ क्या हुआ मुझे मालूम नही। आप मेरे से शायद बहत बड़े भी है। अपने मेरे से ज्यादा
समाज को देखा और अनुभव किया होगा इसलिए इस बारे में आप से मैं कुछ भी नही कहूंगा। लेकिन मेरा खुद का राय है की हर मनुष्य लोभी नही होता। कुछ अच्छे मनुष्य भी मजूद है। हो सकता है कुदरत ने आपको खराब लोगो से ज्यादा मिलाया। ताकि आप समाज के खराबियों को देख सके।
टेम्पोवाला: तुम भी अच्छी बातें कर लेतो हो।
योगी: में भी अच्छी बातें कर लेता हो मतलब?
टेम्पोवाला: मेरा एक दोस्त था। लेकिन तुम शायद उससे अलग हो। हो सकता है ना भो हो। क्योंकि कुदरत ने मुझे अच्छे से सिखाया था। आदमी को समझ ने के लिए सिर्फ आँख और कान का इस्तेमाल करने से नही होगा। कुदरत का सबसे बड़ा देन दिमाग का भी उपयोग करना सबसे ज्यादा जरूरी है। आँख और कान तो आदमी को कभी भी धोखा दे देता है।
योगी: अपने मतलब बहत ही अच्छे से धोखा खाया है।
टेम्पोवाला: हाँ! बहुत ही अच्छे से।
योगी: एक काम करते है। में आपका Emotional Story सुनूंगा उसके बदले आप मुझे मेरे दोस्त के घर पहुचा दीजियेगा। मेरे ऊपर भी थोड़ा उपकर हो जाएगा।
टेम्पो वाला उसके तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहता हैं, "मेरा एक दोस्त था। अजित नाम था उसका। वह बड़ी ही अच्छी अच्छी बातें करता था। समाज के बारे, समाज के लोगो के बारे में बहुत ही सुंदर बाते करता था। समाज के लोगो मे एकता नही हैं, समाज के लोगो को एक होना होगा, नेता लोग अपने फायदे के लिए देश को लूट रहा है, इस तरह के कई बाते करता था। बस उसे बात करने का मौका मिलना चाहिए।" योगी उसका बात बारे ही गौर से सुनता हैं और बीच मे उचित समय पर अपना सिर भी हिलाता हैं। योगी ने बोच में सोचा भी था की उसके बातो के ऊपर अपने एक दो शब्द जोड़ दे ताकि उसके बातों को थोड़ा बल मिले लेकिन मन के किसी एक विचार ने उसे रोक दिया। शायद उस विचार को कुछ आभास हुआ हो। टेम्पोवाला अपना Emotional Story जारी रखता हैं,
"बात करके उसको बड़ा अच्छा लगता था। लोगो के लिए वह नायक बन गया था। उसे बात करने का तो मौका मिलता था लेकिन उसे साबित करने का मौका नही मिलता था। लेकिन एक दिन मौका मिला। गाँव मे एक नदी हैं। नेताओ ने तो उस नदी में पुल बनाने के नाम मे वोट लिए, लेकिन पुल बनाया नहीं। इसीलिए हमलोगों ने मिलकर गाँव के लोगो से पैसे उठाकर पुल बनाने का फैसला किया और इस काम के लिए अध्यक्ष बनाया अजित को। हमलोगों ने बहुत मेहनत से पैसे एकट्ठा किये। उस समय कई महान लोगो का पैसे देने के समय असली चेहरा भी देख लिया था। सरकार के विरुद्ध बोलने वाले खुद कितने महान थे मैने उस समय अच्छे से समझ लिया। वह कहते हैं ना की जब तक आईने में अपनी सकल नही देखोगें तब तक मुँह में लगा हुआ दाग नजर नही आता उसी तरह जब तक अपने अंदर झांककर देखोगें नही तब तक अंदर का शैतान नजर नही आएगा। जो हो हमलोगों ने पैसे एकट्ठा करके जैसे तैसे पुल बनाया लेकिन हमनें जैसा सोचा था पुल उतना मजबूत बना नहीं। बादमे हमे मालूम चला की अजित और कुछ लोगो ने पुल बनाने के नाम पर पैसे खा लिया। हमें तो विस्वास ही नही हुआ। हमलोग अजित के पास गए। पहले तो उसने इनकार कर दिया। लेकिन बाद में परिस्थिति देख बरेही
चालाकी से सब बोल दिया। वह बोलने लगा, “आजकल सभी पैसे खाते हैं। पूल बनाने के लिये जितना पैसा चाहिए था उसे बहुत ज्यादा आ गया था। इसीलिए मैंने उन
पैसो से एक बाइक खारिदा। उसमे किया गलत किया। और मैने तो पैसे खाकर किसीको भूखा नही मारा। बस उस पैसों से एक बाइक खरीदा ताकी गाँव के काम के लिए दौर भाग कर सकु। अपने खुद के फायदे के लिए मैंने कुछ भी नही किया।" इस तरह और कई बातें वह करने लगा। लोगो को बातों मे घुमा दिया। लोग भावुक हो गए और कुछ लोगो ने उसे माफ कर दिया। लेकिन मैंने माफ नही किया। उसके बिरुद्ध पुलिस में केस दर्ज कर दिया। तबसे मैं उसका दुस्मन हुँ। मुझे चोट पोहचाने का कोई भी मौका वह छोड़ता नही था।
कुछ साल बात अजित एक राजनैतिक दल के साथ जुड़ गया। मेरे कुछ दोस्तों ने तो मुझे भी राजनैतिक दल में जाने के लिए कहा था। लेकिन मुझे इन सब में जाने का मन नही था। एक दिन अजित के दल ने सरकार के विरुद्ध बन्द का घोषणा किया। सब दुकाने बन्द हो गया। बहत बड़ा विरद्ध प्रदर्शन हुआ था। सब कुछ बन्द था। लेकिन मैंने अपना तम्पो बन्द नही किया।
क्योकि हम लोग तो दिन के मजदूरी से चलते हैं, मैने काम भी नया नया शुरु किया, माँ
का तबियात भी खराब था, पैसो का जरुरत था। इसे मे तेम्पो कैसे बन्द करता। बस अजित को मौका मिल गया। बीच रास्ते मे मुझे पकड़ लिया। और पीटने लगा। मैंने उनलोगों के सामने हात जोड़े। बोलने लगा घरमें मेरा मा अकेला है, मुझे कुछ हो गया तो उसे कोन देखेगा। मुजे माफ कर दो। लेकिन अजित ने माफ नही किया। मुझे बहुत मारा। मेरा हालत देख माँ को बहुत बड़ा सदमा पोहचा।"
टेम्पोवाला बोलते
बोलते रुक गया। तभी योगी अपनी बेचैनी रोक ना पाकर उसे पूछता हैं,
"आपका माँ तो ठीक है ना?" तभी योगी को एक औरत की आवाज सुनाई देता हैं। योगी टेम्पो से निकल कर देखता हैं की एक बूढ़ी औरत टेम्पो के नजदीक आ रहा हैं। टेम्पोवाला भी दौर कर उस औरत के नजदीक जाता हैं। योगी समझ जाता है की वह टेम्पोवाले का माँ है। वह निश्चिन्त हो जाता हैं की टेम्पोवाला और उसका माँ जिंदा हैं। तभी एक गाड़ी रास्ते के दूसरी तरफ रुकता है। गाड़ी के अंदर से दिलीप और राहुल योगी को बुलाता हैं। योगी दौर कर गाड़ी के नजदीक जाता हैं। उसी समय बारिश भी रुक जाता हैं।
राहुल: इसे वीरान जगह में किया घन्टा कर रहा है। कोई मारकर जाएगा ना मालूम भी नही चलेगा।
योगी: आब्बे
बाइक खराब हो गया था।
दिलीप: तो फ़ोन किया अपना खुजाने के लिये रखा है?
योगी: तेरे इस गाँव मे नेटवर्क तो रहता नही है। तो फोन तो खुजाने के ही काम आएगा ना। वह तो अच्छा हुआ की वह टेम्पोवाला...
योगी
मुड़ कर देखता है, लेकिन उसे टेम्पोवाला दिखता नही। वह सोचता है,
"शायद वह अपने माँ के साथ चला गया होगा। उनका नाम भी पुचना नही हुआ।"
"कौन टेम्पोवाला?"
राहुल कहने लगता हैं,
"यह दिलीप, पक्का इसने गांजा खाया है। बारिश में भीग भीग कर गांजा खाया हैं।” राहुल की बातें सुनकर उसे चिढ़ाते हुए योगी कहता हैं, "तेरे जेसा गंजेरु समझ कर रखा हैं किया। रुक पहले मैं बाइक लेकर आता हूं। फिर बाइक का कुछ बेबस्था करना होगा।” योगी बाइक के नजदीक जाता हैं। तभी उसे बाइक के सामने यानी जहा टेम्पो खड़ा था ठीक उसके सामने एक स्मारक दिखता
हैं। उसमें कुछ लिखा हुआ था। उसे देख कर उसके मन मे बहत हलचल होने लगा। वह दौड़ते हुवे गाड़ी के सामने आता है।
दिलीप: क्या हुआ? भुत देख लिया क्या?
राहुल: आब्बे दिलीप, पक्का इसने Heavy
गांजा खा लिया हैं।
योगी: अब्बे चुप। दिलीप उस स्मारक में किसके बारे में लिखा है।
दिलीप: क्या लिखा हुआ है?
योगी: यही
की बरुन शर्मा और उसके माँ निर्माली शर्मा के स्मृति में बनाया...
दिलीप: ओह्ह, अच्छा वह। एक बरुन नाम का आदमी था। तेम्पो चलाता था। तीन साल पहले की बात है। उस गंधे ने बंद के दिन भी टेम्पो चलाया और भीड़ का चिकार हो गया।
योगी: चिकार हो गया मतलब?
दिलीप:
(राहुल और दिलीप गाड़ी से निकलता है) चिकार हो गया मतलब भीड़ ने उसे खा गया। आरे बन्द का दिन था चुप चाप घर में बैठो। लेकिन नही वह तो टेम्पो चलाएगें।
हिरो बनेगा। उसका मज्जा पाया।
राहुल: मर गया वह? बेचारा।
दिलीप: वह भी मारा और उसके मौत का खबर सुनकर उसका माँ भी मर गयी। सोचने से खराब ही लगता है। इसीलिए ज्यादा सोचो मत अभी चलो।
योगी: जिन लोगों ने मारा उनलोगों का कुछ सजा हुआ?
राहुल: तेरेको उसे किया? Emotional
Story Book लिखेगा क्या या फिर Horror Story? घर जाकर सरा कहानी सुन लेना। अभी चलो। बरुन जैसा कितना रोज मरता ही रहता; सभी को इंसाफ थोड़ी ना मिलता हैं। चल बाइक लेकर आते है।
राहुल योगी के साथ बाइक के नजदीक आता है। योगी को कुछ सोचता हुआ देख राहुल पूछता है, "नासा ज्यादा हो गया क्या? क्या सोच रहे हो?" योगी कहता है, "बरुन जैसा रोज मरता ही है। मुझे उसे किया। बरुन मेरा सगा थोड़ी ना था। यही सोच तो हमे मनुष्य से जानवर बनाता है। और हमलोग उसी में खुश है। इस देश के लोगो को एक करने के लिए, मानवता का पाठ पढ़ाने के लिए कितने ऋषि मुनिओ ने कितना कुछ लिखा। लेकिन हम मनुष्य उन सबको जानते हुए भी एक ही गलती को दोहराते रहते है। लेकिन हर गलती का एक ना एक दिन फैसला होता ही है। कोई नही बच सकता है उससे। चाहे कोई भी हो, जो गलती करेगा उसे एक ना एक दिन उसका फल जरूर मिलेगा।"
राहुल योगी के बातो पर उतना ध्यान देता नही है। राहुल बाइक को Start
करने की कोशिश करता है और बाइक Start
भी हो जाता हैं। राहुल बोलने लगता हैं,
"अब्बे जूठे बाइक तो Start
हो गया। एक बात बता तू ऐसे साधु संत वाले बाते क्यू कर रहा हैं।"
राहुल योगी के तरफ ध्यान से देखता है। योगी भी राहुल के तरफ देखता है और
"वह टेम्पो वाला वरुण था।"
राहुल अपनी आँखें बड़ी कर लेता है और धीरे से योगी के कानो के नजदीक आकर धीरे से पूछता हैं,
"माल और है क्या?"
अगर आपको यह कहानी अच्छा लगे तो दुसरो तक भी पहुँचायेगा।अगर खराब लगे तो निचे अपनी टिप्पणी जरूर दीजिएगा।ताकि में अपने लेखन प्रणाली को और बेहतर बना सकू।
।। कहानी पढ़ने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।।