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नौकरी या Business | Comedy Story in Hindi | Short Story


नौकरी या Business | Comedy Story in Hindi | Short Story



नौकरी या Business | Comedy Story in Hindi | Short Story

 
अगर आप मुझे पूछेगें की private दफ़्तर में नौकरी करना बेहतर है या खुद का Business करना बेहतर है। तो मैं आपको कहूंगा कि 100 की 100 प्रतिशत...मुझे नहीं मालूम। जी हां अपने ठीक सुना मुझे नहीं मालूम। क्योंकि जैसे शुरू शुरू में जब हम कोई नया समान खरीदते है तब उसे अपने दिल के करीब रखते है। उस सामान को किसी को भी छूने नहीं देते लेकिन जैसे ही सामान पुराना हो जाता है उसका हमारे दिल से depression यानी मूल्य भी कम हो जाता है। उसका खयाल रखना तो छोड़िए उसके बदले हमें कोई नया समान मिल जाए, हम उसकी दुआ करने लगते है और ऐसे समय में ही भगवान हमारे साथ खेल खेलता है; मतलब पुराने समान के बदले हम जब नया समान लेते है तब वह नया समान पुराने समान से भी बदत्तर साबित हो सकता है। आज मेरे साथ भी वही हुआ। दरअसल मे पटाचारकुची के एक छोटे से private दफ़्तर का कर्मचारी था। जिन लोगों को पटाचारकुची के बारे में नहीं मालूम में बता दु की पटाचारकुची असम राज्य के बारपेटा जिला के अंतर्गत, एक शहर का नाम है। करीबन आठ साल उस दफ्तर में मैंने अपना पसीना बहाया उसके बदले में तंखुवा भी अच्छा खासा मिलता था। लेकिन आपको तो मालूम ही है इंसानी फितरत ज्यादा भी थोड़े दिन बाद थोड़ा लगने लगता है। मेरे साथ भी वही हुआ। यह सब किया धरा मेरे सपने बाँटने वाले दोस्त कमल का था।

में अपने काम से लगभग खुश ही था लेकिन एक दिन कमल मुझे मिला। तब बातों ही बातों में मैने उसे पूछा की उसका Accountant का नौकरी कैसा चल रहा है। तब उसने कहा, “नौकरी? हे... नौकरी नौकर करते है, नौकरमालिक business करता है। मैने नौकरी छोड़ दिया और अब मै एक business शुरू करने वाला हूं.... contractorशुरू में मुझे उसके बातें अजीब लगने लगा था लेकिन सपना बहुत हसीन होता है और हम इंसान हमेशा चाहते है कि वह हसीन सपना वास्तविक हो जाए। और सपना वास्तविक हो जाएगा यह विश्वास मुझे कमल ने दिया। मझे अपने भाई समान कमल पर पूरा विश्वास था...पूरा विश्वास...अंधविश्वास

Road यानी सड़क बनाने का काम। government contract था। कमल के कई सारे जान-पहचान के आदमी थे। बड़ा project था। काम शुरू...। मुझे शुरू में थोड़ा दिक्कत आया... contractor के काम में उतना ध्यान नहीं दे पा रहा था। क्योंकि की मैंने नौकरी अभी तक नहीं छोड़ा था। में risk नहीं लेना चाहता था। तब मैरे दोस्त ने कहा, "life is a risk. Risk लोगे नहीं तो जीतोगे कैसे। naukri या business? तुम्हे फैसला करना ही होगा। You have no choice।" पता नहीं अंग्रेजी सुनने से हमे ऐसा क्यों लगता है कि सामने वाला जो बोल रहा है ठीक ही बोल रहा है। यह मानसिकता सिर्फ हमलोगों के ऊपर ही लागू होता है कि London और American लोगों के ऊपर भी लागू होता है। शायद वहाँ हिंदी बोलने से लोग समझदार कहलाते है। जो भी हो मैंने नौकरी छोड़ दिया। अपना resignation letter boss के table पे रख दिया। अपने हुंहर नौकर को जाते देख boss ने मुझे मानने के लिए फ़ोन किया। उन्होंने कहा, "यो अचानक नौकरी छोड़ रहे हो क्यों? तुम्हे अगर तंखुवा ज्यादा चाहिए तो मैं.... थोड़ा बढ़ाने के लिए तैयार हूं।" "आप मुझे क्या तंखुवा देंगे।" मैंने कहा, "आप के जैसे लोग तो मेरे नीचे मजदूर का काम कर रहे है। आपको अगर पैसे की जरूरत हो तो मुझे कहियेगा। एक मजदूर का पोस्ट खाली है मेरे पास। Hello...." boss ने फ़ोन काट दिया। उस समय तो बहुत मजा आया था। बहुत हँसे भी थे। लेकिन मेरा हँसी छूता कुछ दिन बाद जब कमल अपना लटका हुआ मुँह लेकर मेरे पास आया। मैंने उसे पूछा, "What happen my friend?" उसने कहाँ, "अंग्रेजी? अभी छूटेगी तेरी अंग्रेजी। बिल cancel हो गया।" "क्या? लेकिन क्यों?" मैंने पुछा, तब उसने कहा, "मुझे समझने में थोड़ा सा गड़बड़ हो गया। दरअसल सड़क बनाने का contract बगल वाले गांव का था मैंने इस गांव का समझ लिया।" उसके बातें सुनकर मुझे दुख लगा लेकिन एक खुसी भी था कि जल्दी बात का पता चल गया, इसलिए मैने कहा, कोई बात नहीं। ज्यादा पैसे खरसा होने से पहले ही बात का पता चल गया। अब हमे उस गांव में काम शुरू करना होगा, हैना?" "नहीं काम शुरू हो चुका।" उसने कहा, "वह contract किसी और को मिल चुका है। तुम tension मत लो। अच्छा हुआ ज्यादा पैसे खरसा होने से पहले ही बात मालूम चल गई।" "अबे naukri गया जो उसका क्या?" Mere मुँह से यह शब्द निकल पड़े। अब मुझे झटका लगा। जोड़ का झटका जोड़ से लगा। कमल गायब था। मेरा दिमाग खराब। अब क्या करूँ। उपाय भी नहीं था तो Boss को फ़ोन किया। दस बार फ़ोन करने के बाद उन्होंने फ़ोन उठाया, “Hello”…Boss का आवाज सुनकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी भुखे शेर को उसका शिकार मिल गया हो। तब मेंने हिम्मत जुताकर कहा, "नमस्ते sir, खाना खा लिए?" कोई जवाब नहीं। "sir उस दिन तो मै मजाक कर रहा था। आप तो मेरे लिए भगवान समान है। आप खराब तो नहीं पाए। कोई जवाब नहीं। फिर मैं असली बात पर आया, "sir। मैंने नौकरी छोड़ा नहीं , मैं तो आपको Aprifool नहीं Junefool बना रहा था। मैं काल से कितने बाजे काम आओ।" "शुभे आ जाना" उन्होंने कहा। यह सुनते ही मेरे दिल को तसल्ली मिली। उन्होंने फिर कहा, "तुम्हरे post पर मैने किसी और को रखा है लेकिन तुम्हारे लिए एक नया personal assistant का post है। तुम शुभा ठीक 7 बजे, मेरे घर आ जाना। दरअसल काल मेरा accident हो गया और मुझे बाई हाथ के उँगली में चोट लग गया, तो शुभा के काम के लिए मुझे एक personal assistant चाहिए। Hello"...मैंने फ़ोन काट दिया। और समझ गया ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए। नौकरी भी अपनी जगह सही है और business भी। जिसको जो भाए उसके लिए वहीं सही।

समाप्त

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