Ads are here which will you like

मौत का द्वीप | भाग 1


मौत का द्वीप एक डरावनी कहानी (Horror story) है। यह कहानी द्वितीय विश्वयुद्ध की एक घटना से प्रेरित है; जहाँ जापान कई हजार शेनिक म्यांमार के राम्री Island में फस गए थे। इस कहानी में जापान के जगह ब्रिटिश के सैनिकों का उल्लेख कर एक नए काल्पनिक तरीके से लिखा गया है।

मौत का द्वीप |  भाग 1
मौत का द्वीप |  भाग 1 


 
मौत का द्वीप |  भाग 1 


नाव में सवार हो कर ब्रिटिश के सैनिक समुंदर के रास्ते युद्ध के लिए जा रहे थे। दस नाव में कुल 100 सैनिक थे। सभी के चेहरे पर युद्ध के लिए उत्छुकता था और साथ मे था डर; मृत्यु का डर। सभी सैनिक commander विलियम के नेतृत्व में जा रहे थे। उन सेनिको में एक विकास हजारिका नाम का सैनिक भी था, वह ब्रिटिश फ़ौज का बहुत ही छोटा सिपाही था। अपने गरीब जीवन और अपने परिवार का पेट भरने के लिए वह ब्रिटिश सेना में शामिल हो गया था। उसने सोचा था ब्रिटिश सेना में काम करके उसका और उसके परिवार का जीवन आराम से कट जाएगा लेकिन होनी को कुछ ओर ही मंजूर था। द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हो गया और उसे जंग में आना पड़ा। उसे अपने परिवार का याद आ रहा था।

विकास बहुत गरीब घर का लड़का था। घर में उसका माँ, पत्नी और एक बच्चा था। विकास जिस समय ब्रिटिश सैनिक में भर्ती हुआ था उस समय भारत मे स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम सीमा पर था। उसके कई दोस्त आजाद हिंद फ़ौज से शामिल भी हो गए थे। विकास भी आजाद हिंद फ़ौज में जाना चाहता था, लेकिन अपने घर के प्रति मोह के साथ वह लड़ नहीं पाया। उसे दूसरा कुछ काम मिल नहीं रहा था और इसीलिए अंत मे विवश होकर वह ब्रिटिश सैनिकों में शामिल हो गया। विकास बहुत ही ताकवर और होशियार था इसलिए ब्रिटिश ने उसे अपने ताकतवर फ़ौज के साथ भेजा। आज वह युद्ध में जा रहा हैं। लेकिन उसे युद्ध से कुछ लेना देना नहीं। उसे बस जिंदा अपने घर जाना है। लेकिन कौन जिंदा जाएगा इसका फैसला तो हो छुका था।

सभी सैनिक नाव में सवार हो कर जा रहे थे। तभी अचानक मौसम बिगड़ने लगा। जोर से बारिश आने लगा, समुंदर में तूफान आने लगा। अब समुंदर में आगे बढ़ना मुम्किन नहीं था। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए? तभी Commander विलियम को एक द्वीप दिखाई दिया। विलियम सभी को उस द्वीप तक जाने का निर्देश देता हैं। सभी उस द्वीप तक पहुँचते हैं। द्वीप में चारो तरफ बड़े बड़े पेड़ थे। द्वीप जंगल से भड़ा हुआ था। सभी लोग बारिश से बसने के लिए पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं। 

थोड़ी देर बाद बारिश रुक जाता हैं। सभी सैनिक बाहर निकलते हैं। विलियम सभी को थोड़ा आराम करने का निर्देश देता हैं। सभी सैनिक आपस मे बातें करने लगते हैं। लेकिन विकास अकेले एक कोने में बैठकर अपने घर के बारे में सोचता रहता हैं। तभी उसके सामने एक ब्रिटिश सैनिक आता हैं। वह विकास के नजदीक आ कर उसका नाम पूछता हैं,

विकास: विकास हजारिका।
साहिल: विकास हजारिका? असम के हो? मैं साहिल। इस टुकड़ी में शायद हम दो ही हिंदुस्तानी हैं; बाकी सब बिदेशी। क्यों?
विकास अपने ही दुनिया मे मग्न था इसीलिए शुरु मे  साहिल के बातों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था। सिर्फ सिर हिलाकर उसके बात का समर्थन करता। विकास को उदास देख साहिल कहता हैं,
साहिल: क्या बात हैं? इतने उदास क्यों हो? तुम मुझे कह सकते हैं क्योंकि यहां में अपना कहने के लिए सिर्फ में ही तो हिंदुस्तानी हूँ। 
विकास: कुछ नहीं। सिर्फ घर की याद आ रहा हैं।
साहिल: हाँ हाँ... अच्छा यह बात हैं। घर को भूल जाओ। बहुत तकलीफ देता हैं। यहां जंग में आये है जिंदा वापस जा पाएंगे कि नही उसका भी कुछ Gurantee नहीं। 
विकास: लेकिन जूझे जिंदा जाना होगा। क्योंकि घर के लोग मेरा इंतेज़ार कर रहे हैं।
साहिल: अगर ऐसा ही बात है तो तुम यहाँ आये ही क्यों?
विकास: मैं आना नहीं चाहता था। लेकिन मुझे जबरदस्ती बड़े ओफ्फिसरो ने भेज दिया। अब में उनके बातों को ताल तो नही सकता। नहीं तो मुझे जेल में डाल देंगे। 
साहिल: वह तो हैं। अभी ब्रिटिश का राज हैं। अब ज्यादा दिन नही हैं, ब्रिटिश का राज भारत से खत्म होने वाला हैं। अब ब्रिटिश भी कमजोर पड़ रहे हैं। गांधी जी के अहिंसा मार्ग और नेता जी के बिद्रो मार्ग के जरिये देश आजाद होगा और हमारा देश फिर से एक महान देश बन जाएगा। सभी मिलजूल कर रहेंगे। कोई भेद भाव नहीं सिर्फ तरक्की।
विकास: तो तुम ब्रिटिश के सेना में क्या कर रहे हो। तुम्हे तो आजाद हिंद फौज में होना चाहिए।
साहिल: परिवाल का बोझ। घर में एक लोटा बेटा हूँ। माँ बाप, चार बहने हैं। देश की जिम्मदारी हर नागरिक का फर्ज हैं और घर की जिम्मदारी हर संतान का फर्ज। अभी घर की जिम्मेदारी निभा रहा हूं; जब देश की जिम्मेदारी निभाने का वक्त आएगा तब वह भी निभाएंगे। क्यों?
विकास: हाँ क्यों नहीं? में भी ब्रिटिश फौज में घर की जिम्मेदारी के कारण ही भर्ती हुआ हूँ; नहीं तो मेरा मन तो देश की सेवा का था लेकिन ब्रिटिश का सिपाही बनकर नहीं बल्कि भारत माँ का बेटा बनकर।
साहिल: तो ठीक है। अगर जिन्दा बसे तो इस युद्ध से मिले पैसे घरवालो को देकर अपने आप को देशवालों को चोप देंगे।
विकास: हां बिल्कुल। भारत माँ को हमारी जरूरत है। गांधी जी और नेताजी के आदर्शो से और हमारे बलिदानो से यह देश आजाद होगा। हम सब मिलकर हमारे भारत माँ को फिर से सोने की चिड़िया बनायेगे। लेकिन..दर लगता है कहीं लोग मतलबी ना बन जाये और आजादी के बाद ब्रिटिश के जगह हम अपने लोगो के ही गुलाम ना बन जाये।
साहिल: ऐसा कभी नहीं होगा। ऐसा कभी हो ही नहीं सकता। यह देश अब कभी किसी का गुलाम नहीं बनेगा। बहुत गुलामी सह लिया, अब किसी का भी गुलामी नहीं सहेंगे। तुम देख लेना देश से ब्रिटिशो को भगाने के बाद हम सब मिलकर हमारे हिंदुस्तान को दुनिया की उस उचाई में ले जायेंगे जहां पहुंचना दूसरे देशों के लिए बस एक सपना भर होगा।
विकास: मन तो कर रहा है की अभी ब्रिटिश की नौकरी छोड़कर चला जाओ लेकिन, लेकिन रगों में भारत माँ का खुन दौड़ रहा है और उस खुन से महक मातृभुमि असम की आ रही है तौ गद्दारी कैसे कर सकता हो। अंग्रेजों ने मुझ पर भरोसा करके इस जंग में भेजा है इसलिये उनके भरोसे को में नहीं तोडूंगा लेकिन अपने लोगों के खिलाफ भी में बन्दुक नहीं तानुंगा। इसलिए मैंने पूरी तरह से फैसला कर लिया है की इस जंग के बाद, मैं यह नौकरी छोड़कर देश की आजादी के लिए लाऊंगा। बहुत कर ली गुलामी..
साहिल: अब चाहिए हमें आजादी। इसलिए बोलो..
विकास और साहिल: भारत माता की जय।
विकास: अरे इतना बात कर लिया लेकिन मैंने तो अभी तक तुम्हारा नाम भी नहीं पूछा।
साहिल: मेरा नाम साहिल
साहिल कुछ बोलने ही वाला होता है कि तभी जंगल के अदंर से गोली की आवाज सुनाई देता हैं...

Related Posts

More than one instance of Sumo is attempting to start on this page. Please check that you are only loading Sumo once per page.