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The Judgment Day 1 - खौफ का आरम्भ


The Judgment Day - खौफ का आरम्भ
The Judgment Day - खौफ का आरम्भ


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The Judgment Day 1 - खौफ का आरम्भ

निर्दोष लोगो के अंदर खौफ पेंदा करने वाला भी एक दिन खोफ में जिएगा
जिस दिन भगवान Judgment Day का ऐलान करेगा उस दिन खौफ पेदा करने वाले के अंदर भी खौफ का आरम्भ होगा

The Judgment Day....इस दुनिया को समझना इतना आसान नही हैं। बहुत राज हैं इस दुनिया के अंदर। इन राजो में से एक राज हैं भूत-पिशाच (Bhoot-Pishach) कई लोगो का मानना है की उन्होंने भूतो को देखा है उन्हें महसूस किया हैं। लेकिन कुछ लोगो का मानना हैं यह बस एक भ्रम हैं। एक डर है जो लोगो के मन में एक काल्पनिक छबि का निर्माण करता है। कुछ लोग कहते है की भूत वास्तव में होते हैं तो कुछ कहते हैं की अगर होते हैं तो सबको दिखता क्यों नही? सब अपना अपना तर्क साबित करने में लागे हुए हैं लेकिन वास्तव में सच क्या हैं कोई नही जानता। लेकिन इतना तय हैं की हम लोगों को अभी तक इस दुनिया के रहस्यों के बारे में १०% भी नही मालुम। हमारे आसपास इतने रहस्य छुपे हुए हैं की अगर हम उन सब पर ध्यान दे तो हमारे दिल की घरकने तेज होने लग जाये। इसका अहसास हमें रात के सन्नाटे में होता है। और अगर वह अमावस्या की रात हो तो....
विजय, पुनीत और जीनु तीनो ही अच्छे दोस्त हैं। विजय और पुनीत Construction का काम करते। सरकार से Project ले कर सड़के बनाते है। इस काम में जीनु के पिताजी उन दोनो का मदद कर देता है। लेकिन इसे ही नहीं अपना हिस्सा लेकर। जीनु के पिताजी एक विधायक हैं। इसीका जीनु को घमंद हैं। उनलोगो का ही एक दोस्त हैं नयन। उसके पास विजय, पुनीत और जीनु के जैसा पैसा तो नही हैं लेकिन उन लोगो से काई गुणा ज्यागा बड़ा दिल हैं। नयन विजय का तो अच्छा दोस्त है लेकिन पुनीत और जीनु उसे उतना पचन्द नही करते। उसे बाबा जी कह कर चिढ़ाता रहते हैं। क्योकि नयन को पुजा पाठ कारके अच्छा लगता हैं।  
अपने कामों से हत कर थोड़ा मन को Relax करने का लिए पुनीत शिवसागर घूमने का Plan बनाता है। पुनीत नयन को शामिल नही करना चाहता था। लेकिन विजय के कहने पर नयन को भी ले लेता हैं। 3 दिन के लिए चारो शिवसागर के लिए निकल जाते है। लेकिन पुनीत और एक गिन रहना चाहता था। इसीलिए चारो रुक गए। और यही से Judgment Day की शरुवात होता है। अपने जिन्देगी से खुश उनलोगो को मालुम नही था की जीन्देगी क्या मोड़ लेने वाला है।
4 दिन शिवसागर मे रहने के बाद नयन, पुनीत, जीनु तीनो विजय के गाड़ी में सवार होकर रात को होटल के तरफ रहे थो। उनलोगो ने होटल जा कर काल सुबह गुवाहाटी के लिए निकल जाने का फैसला किया था। लेकिन मनुष्य क्या फैसला करता हैं वह जरूरी नही, ब्रम्हाण्ड के कानून ने किया फैसला किया वह जरूरी हैं। क्योंकि वही होने वाला हैं। गुवाहाटी कौन जाने वाला है और कौन नही इसका फैसला ब्रह्माण्ड के कानून ने कर लिया था।
होटल जाते समय बीच रास्ते मे उनलोगों का गाड़ी खरब हो जाता हैं। वे लोग गाड़ी से निकल कर उसे ठीक करने मे लग जाते हैं। लेकिन ठीक होता नही। फोन निकालता है लेकिन नेटकॉर्क का नामोनिशान नही। चारो अपना दिमाग दौराने लग जाता है की क्या किया जाए। लेकिन उनलोगों को कुछ उपाई भी नही सूझता। अमावस्या के रात का संनाटा उनलोगों के कानो में गुंझ रहा था। तभी विजय को एक आदमी दिखता हैं। वह आदमी चलते हुए अपने मंजिल तक रहा था। चारो ने उस आदमी के तरफ देखा। उस आदमी के चलने का तारिका बहुत ही आलग था। लेकिन था बहुत ही आकर्षक। एक बहुत ही मजबूत आदमी था। जब वह आदमी उनलोगो के नजदिक पहुँच रहा था तब संनाटा वहुत ज्यादा बड़ जाता हैं। एक डर उनलोगो के अंदर बस रहे प्राण को झिंझोड़ देता हैं। जिसके वाजे से उनलोगो के दील की धड़काने तेज होने लगता है। जीनु के मन मे खयाल भी आता है कही यह भूत-पिशाच (Bhoot-Pishach) तो नही। लेकिन वह कुछ नही बोलती। क्योकि सब उसे डरपोक कहने लगेंगे। विजय अपने दिल के धडकानो को थामाकर उसको बुलाता हैं। विजय के बुलाते ही वह आदमी रुककर उन लोगो के तरफ देखता है। नयन को कुछ अजीव सा महसुस होता है और ना चाहते हिए भी उसके मुँह से निकल जाता है, उसे माद बुलाओ। मुझे कुछ अजीव सा लग राहा हैं। उसके बातों को सुनकर पुनीत हाँसने लगता है और कहता है, देख जीनु बाबा जी को डर लग रहा हैं। विजय मुस्कुराकर उस आदमी को अपनी तरफ आने का इशारा देता हैं लेकिन वह आदमी आता नही तब पुनीत कहता हैं,
पुनीत: बड़ा अड़ियल है। वह नही आएगा तुम्हे ही जाना होगा।
जीनु: हम सब उसके पास जाते हैं। मालूम नही कैसा आदमी हो। दिखने मे भी बहुत मजबूत है।
नयन: हा...राते के 11 बजे ऐसे सुनसान जगह पर कोई साधारण आदमी तो घूमेगा नही। छोड़-खूनी भी हो सकता हैं।
जीनु और नयन की बाते सुनकर सब उस आदमी के नाजदिक जाता हैं। उनलोगो के दील की धडकाने और तेज हो जाता हैं। नयन इसे अच्छे से महसुस तो करता है लेकिन इस बार वह कुछ बोलता नहीं। उस आदमी के आँखे बड़े बड़े थे। चेहरा बहुत ही सुंदर था। लेकिन नयन ने ध्यान से देखा तो चेहरे में एक काशिस दिखा। जैसे की उस चेहरे मे कई राज छुपे हिए है। विजय उस आदमी के नाजदिक जा कर पूछने लगता है,
विजय: भाई! यहा में कही Garage हैं क्या? Actually हमलोगों का गाड़ी खराब हो गया हैं। हमें काफी दूर भी जाना हैं।
आदमी: जाना तो सबको बहत दूर हैं। लेकिन आधे रास्ते मे ही सब दम तोड़ देते हैं। आज तुम लोगों का गाड़ी भी दम तोड़ने के कगार में हैं। लेकिन अभी भी गाड़ी में दम बाकी हैं जिसे गाड़ी के Doctor की जरुरत हैं। अगर Doctor से मिलना चाहते हो तो मेरे पीछे पीछे आओ।
      उस आदमी की बाते सुनकर सब को कुछ अजीब सा लगा। 
जीनु: अरे यह तो कुछ अजीब आदमी हैं। में इसके साथ नही जाने वाली। मालूम नही Doctor के बहाने किसके घर ले जाकर क्या करे दे।
पुनीत: हमारे पास कुछ उपाय भी तो नही हैं। एक काम करते हम सब जाते हैं। अगर थोड़ा भी गड़बड़ लगा तो सीधा वहां से भागेंगे। क्यों नयन?
नयन: हाँ! मुझे कुछ अजीव सा लग तो रहा है, लेकिन उपाई भी तो नही हैं।
विजय: हमलोग एक लाइन में ना जाकर एक के पीछे एक होकर जाएंगे और आस पास नजर रखेंगे।
पुनीत: नयन तुम आगे आगे चलो हम तुम्हारे पीछे पीछे चलेंगे।
नयन: अरे में क्यों?
पुनीत: क्योंकि तुम बाबाजी हो। पूजा पाठ करते हो ना इसीलिए।
नयन: चिढ़ा रहे हो?
जीनु: नही बाबाजी, तारीफ कर रहे हें।
विजय: अरे चलो नही तो वह आदमी गयाब हो जाएगा।
चारो एक निर्दिष्ट दूरी बनाकर उस आदमी के पीछे पीछे चल देता हैं। सारो तरफ सन्नाटा था। कही एक हलका सा आवाज भी नही। इसा लग रहा था जैसे चारो को एक यमदूत अपने साथ ले जा रहा हैं। ऐसे हालात मे दिल की धरकाने तेज होना साधारण सी बात हैं। अपने धरकानो को धिमा करने के लिये चारो बात करने लगते है।
जीनु: यह सब पुनीत के कारण हुआ। सारा Plan उसिका था।
पुनीत: देखा, जब घूमने का Plan बाताया था। तब तो नाचने लगी थी और अब जब मुसीबात आया तब मेरा गलती।
विजय: जो भी बोलो तुम्हारा ही गलती है।
जीनु: मेरे पिता जी ने तुम्हे Contract देने से मना कर दिया था। इसीका बदला लिया।
पुनीत: तुम लोग तो इसे बात कर रहे हो जैसेकी यह सब मेने ही किया। मुझे तुम्हारे घमंदी MLA बाप से कुछ आशा भी नहीं था। मै जानता था वह Contract तुम्हारा बाप विजय को ही देगा क्योकि इसने मेरे से ज्यादा पैसे खिलाये थे।
जीनु: देखो तो December के महीने मे पके हुए आम।
वह आदमी एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ जाता हैं उसे बेठेते देख सब रुख जाते हैंचारो उस आदमी के नाजदिक जाता हैं नयन आदमी से पूछता हैं, "आप यहां क्यों बैठ गए?" आदमी नयन की तरफ देखकर कहता हैं, "हर जीव, हर ग्रह, हर नक्षत्र का अपना एक मंजिल होता हैं हम उस मंजीर के ना तो पीछे रुक सकते हैं और ना ही आगे जा सकते हैं भले ही हम आगे जाना क्यों ना चाहे यह ब्रम्हाण्ड का कानून निर्णय करेगा की कौन आगे जाएगा और कोन पीछे रुकेगा ब्रम्हाण्ड ने तुमलोगो का फैसला कर दिया हैं आज रात ब्राह्मण्ड के सिपाहियों ने तुमलोगों को मेरे पास भेजा हैं मेरा जो काम हैं वह में कारने के लिए मजबूर हु तुम लोगो का कर्म ही तुमलोगो को कोनसा सजा मिलेगा वह निर्णय करेगा। यह खौफ का आरम्भ है। आज तुम लोगों का Judgment Day है....

Continue.....
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