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दीपों का त्योहार दीपावली । दीपावली के बारे में रोचक तथ्य |
दीपों का त्योहार दीपावली। ज्ञान का त्योहार दीपावली। अँधेरे को मिटाकर दुनियां को रौशन करने का त्योहार दीपावली । दीपावली है त्योहार अधर्म पर धर्म की जीत का।
दीपावली भारत में पालन
किया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार हैं। दीपावली त्यौहार को नेपाल में भी बड़े ही धूमधाम से पालन किया जाता हैं। भारत के हर एक कोने में दीपावली को बड़े ही उल्लास से पालन
किया जाता हैं। दीपावली
हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष के तेरवे दिन से सुरु हो जाता हैं। दीपावली पांच दिनों का त्योहार हैं। हर एक दिन काई महान कार्य सम्पन हुए थे। हर एक कार्य बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत को दर्शाता हैं। यानी आप कह सकते हैं कि दीपावली बुराई के अंधेरे को मिटाकर दुनियां को सचाई के दिये से रोशन करता हैं।
दीपावली
त्यौहार का अर्थ और दीपावली के बारे में रोचक तथ्य
दीपावली शब्द संस्कृत के दो शब्दों से उत्तपन हुये हैं, “दीप” और “आवली”। इनमें दीप का अर्थ हैं "दिया" (या रौशनी जो ज्ञान का प्रतिक हैं) और आवली का अर्थ हैं
"श्रृंखला"। यानी दीपावली का अर्थ हुआ दिया या रोशनी की श्रृंखला। इसे दीपोत्सव या दीवाली भी कहते हैं। इन
में से दीवाली शब्द
को सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। दीपावली का अर्थ भारत देश के नाम के अर्थ को भी दर्शाता हैं। भा का
अर्थ है "प्रकाश और ज्ञान" और रत का अर्थ है "समर्पित"। दीपावली का अर्थ हुआ दीपो की
श्रृंखला यानि ज्ञान की शृंखला और भारत का अर्थ हुआ ज्ञान और प्रकाश को समर्पित। यानि
दोनों ही ज्ञान और प्रकाश की शृखंला को समर्पित हैं।
दीपों
का त्यौहार के बारे में इतिहास के कुछ तथ्य
दीपावली के दिन कई महान कार्य सम्पर्ण हुए थे इसीलिए यह कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि दीपावली किस समय से पालन
किया जा रहा हैं। समय के साथ साथ दीपावली में नए नए महान कार्य हुए और उसी के साथ उन कार्य का उत्सव
दीपावली में जुड़ते गए। मान्यता है कि दीपावली के दिन
श्री राम जी रावण का वध कर आयोद्धा लौटे थे। अगर लिखित रूप की बात करे तो दीपावली का उल्लेख पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में मिलता हैं। 7
वीं शताब्दी में राजा हर्ष ने संस्कृत नाटक नागनंद में इसी दीपावली को दीपप्रतिपादुत्सव कहा हैं। दीपावली में माँ लक्ष्मी पूजा के दिन ही माँ काली की भी पूजा का विधान
हैं।
दीपावली के पांच दिन पालन
किए जाने वाले त्यौहार
१) दीपावली के पहले दिन को धनतेरस के रूप पालन
किया जाता हैं। धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी के दिन धनतेरस का पालन करने के कारण इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता हैं।
२) दीपावली के दूसरे दिन को नरका चतुर्दशी या छोटा दीवाली भी कहता हैं। मान्यता हैं कि भगवान कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध कर सोलह हजार एक सौ कन्याओं को मुक्त कर दिया था। इसी दिन
शाम को मृत्यु के स्वामी भगवान यमराज को दीपदान करने का प्रथा भी हैं।
३) दीपावली के तीसरे दिन को लक्ष्मी पूजा और आसाम और बंगाल समेत भारत के कई हिस्सो में काली पूजा के रूप में भी पलान किया जाता हैं।
काली पूजा: कार्तिक कृष्ण पक्ष के अमावश्या के रात
को काली पूजा पालन
किया जाता हैं। माँ काली ने रक्तबीज नामक असुर का वध कर संसार को बुराई के अंधकार से मुक्त किया था।
लक्ष्मी पूजा: इसी दिन के लिए लोग अपने घरों की सफाई करते हैं क्योंकि मान्यता हैं कि सम्पति की देवी और भगवान विष्नु की पत्नी माता लक्ष्मी इसी दिन अपने भक्तों से मिलने उनके घर आती हैं। इसलिए भारतीय लोग अपने माँ की स्वागत के लिए कुछ दिन पहले से ही घर की सफाई करते हैं। इस दिन के रात को यानी अमावश्या की काली रात को दिये के उजाले से रोशन कर गिया
जाता हैं। जो दर्शाता हैं कि बुराई कितना भी घना क्यों न हो लेकिन सच्चाई की रोशनी उन बुराइयों को जला कर दुनिया को रोशन कर देता हैं। यह एक विश्वास हैं जो मनुष्य के आत्मा के साथ जुड़ा हुआ हैं।
माँ काली घर को दुष्ट शक्तियों से बचाती हैं और माँ लक्ष्मी घर को समृद्धशाली बनाती हैं। यह एक माँ की प्रतिछवि हैं, जो अपने घर के लोगो के लिए हज़ारो त्याग स्वीकार करती हैं और बुराई से बचाकर घर को समृद्धशाली बनाती हैं।
४) दीपावली के चौथे दिन को अन्नकूट या पडवा या गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाता हैं।
५) दीपावली के पांचवे दिन को भाई दूज के रूप में पालन करते आये हैं। यह भाई और बहन का त्योहार है। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और मजबूत बनाता है। इस दिन को अलग अलग जगहों में अलग अलग नाम से जाना जाता हैं। नेपाली लोग इस त्योहार को भाई टिका के नाम से पालण करते आये हैं। दूसरे जगहों में इस त्योहार को भाई बीज या भाई फोनता के नाम से भी पलान किया
जाता हैं।
दीपावली की आलोचना? क्या दीपवाली से Pollution होता
हैं?
बहुत लोग दीपावली की आलोचना करते हैं कि इस दिन बहुत Pollution
होता हैं। लेकिन वह Pollution पटाखों
जैसे सामग्री से होते हैं, जिसे व्यवसाय Company ओ ने अपने फायदे के लिए बढ़ावा देता हैं। नही तो दीपवाली तो दीपो का, हँसी उल्लास और एकता का त्यौहार हैं। खुशिया
बाटने का त्योहार हैं। जिसे हज़ारो सालो से मनाते आये हैं। पटाखे फोड़ कर Pollution
फैलाना तो शायद कुछ साल पहले से ही शुरू हुआ होगा। लेकिन
मनुष्य मनोरंजन प्रिय है। इसलिए बहुत से लोग पटाखों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे Pollution का मात्रा बहुत
ज्यादा बढ़ जाता हैं। लेकिन अभी लोग समझ गए हैं। अभी लोग वातावरण के प्रति सतर्क हो
रहे हैं। इसीलिए लोग फटाखे से ज्यादा मिठाई और अन्य समगग्रिहो में अपने पैसे निवेश
कर रहे हैं। इसीलिए हमें
दीपावली की आलोचना करने से अच्छा इसके महात्यो को समझ ने कोशिस करना
चाहिए।
शुभकामनाएं
दीपावली केवल एक त्योहार नही हैं। यह एक पहचान हैं। यह पहचान हैं हमारे इतिहास का, यह पहचान हैं हमारे सभ्यता का, यह पहचान हैं हमारे सोच का। ज्ञान रूपी उजाले के प्रतीक इस दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी को lekh-ndc.com के तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं। अपने और अपनों के साथ समाज के हर एक व्यक्ति का ख्याल रखे.
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।। मेरा लेखन पढ़ने के लिए धन्यवाद ।।